59th Years of BSF 2023: देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनेवाली विश्व की सबसे बड़ी ताकत बीएसएफ! जानें इसकी हैरतअंगेज कहानी!
सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ जिसके कारण हर भारतीय चैन की नींद सोता है, जो दिन-रात जागकर दुर्गम मौसम में भी एक अभेद दीवार की तरह देश की सीमाओं को सुरक्षित और संरक्षित रहती हैं. बीएसएफ हमारे देश की पहली रक्षा पंक्ति है.
सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ जिसके कारण हर भारतीय चैन की नींद सोता है, जो दिन-रात जागकर दुर्गम मौसम में भी एक अभेद दीवार की तरह देश की सीमाओं को सुरक्षित और संरक्षित रहती हैं. बीएसएफ हमारे देश की पहली रक्षा पंक्ति है. जिसकी स्थापना साल 01 दिसंबर 1965 में हुई और अनेकों बार आतंकियों की घुसपैठ एवं सीमा पर हमले को सफलतापूर्वक निपटने में सफल रही हैं. हमें गौरवान्वित होना चाहिए कि 59वें वर्ष में हमारी सीमा सुरक्षा बल विश्व की सबसे बड़ी अग्रिम पंक्ति की ताकत बन चुकी है. आइये जानते हैं इस संदर्भ में कुछ जानकारी और कुछ चौंकाने वाले तथ्य..
बीएसएफ स्थापना दिवस का इतिहास
दिनांक 09 अप्रैल 1965 को पाकिस्तान ने भारत के कच्छ स्थित सरदार पोस्ट, बेरिया बेट और छार बेट पर अचानक हमला कर दिया था. पाकिस्तान के इस विश्वासघात और अप्रत्याशित हमले का जवाब देने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की स्थापना करने का निर्णय लिया. योजना थी कि इस फोर्स को पाकिस्तानी सेना से लड़ने के लिए सशस्त्र प्रशिक्षित किया जाएगा. भारत के सुरक्षा सचिवों की समिति की सिफारिशों के बाद 01 दिसंबर 1965 को 25 बटालियन के साथ सीमा सुरक्षा बल की स्थापना की गयी. इस अति प्रतिष्ठित सैन्य बल के पहले संस्थापक खुसरो फिरोज रुस्तम थे. यह भी पढ़ें : Mahatma Jyotiba Phule Quotes In Marathi: महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये 10 महान विचार शेयर कर करें याद
बीएसएफ स्थापना दिवस का महत्व
पाकिस्तानी आक्रमण को तार-तार करने के इरादे से शुरू किये गये सीमा सुरक्षा बल ने कालांतर में कई सफल कारनामे किये. मसलन 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बीएसएफ ने भारत की सुरक्षा में अभेद दीवार बनकर पाकिस्तान के नापाक इरादों को धूल-धूसरित किया. पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ रोकने में काफी हद तक सफल रहे. बीएसएफ प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र मिशन हेतु सेवाओं के लिए अपने कर्मियों को भेजकर विशेष योगदान देता है. उसने गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के दौरान आपसी भाईचारा और सौहार्द कायम करने में अहम भूमिका निभाई. पिछले दो सालों से बीएसएफ कर्मी मणिपुर में उग्रवादियों से लड़ाई कर रहे हैं. वो बीएसएफ ही थी, जिसकी देखरेख में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर बाड़ लगाने का कार्य सम्पन्न हुआ. इस बाड़े के कारण आतंकवादी की घुसपैठ पर काफी हद तक रोक लगी है.
दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बीएसएफ
साल 1965 में 25 बटालियन से शुरू हुई बीएसएफ आज करीब 192 बटालियन और 2.57 लाख सशस्त्र सैनिकों सहित दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर सिक्युरिटी फोर्स बन चुकी है. बीएसएफ गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करने वाली केंद्र सरकार नियंत्रित सरकारी एजेंसी है. बीएसएफ एकमात्र केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जिसकी अपनी एयर टियर स्मोक युनिट (TSU) है, टीएसयू दंगा विरोधी बलों हेतु आंसू गैस हथियारों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है. यह अन्य देशों के लिए भी यह सुविधाएं निर्यात करता है. बीएसएफ के पास एक अलग ऊंट और कुत्तों की विंग भी है, जो कच्छ के रेगिस्तान और भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे दुर्गम क्षेत्रों पहुंचने के मार्ग को प्रशस्त करती है. आज बीएसएफ के पास महिला कर्मियों का बैच भी सक्रिय, जो महिलाओं की नियमित तलाशी, पुरुष समकक्षों के साथ अन्य ड्यूटी भी करती है तथा सीमा की रखवाली भी करती है
बीएसएफ स्थापना दिवस समारोह
बीएसएफ स्थापना दिवस समारोह पूरे देश में बड़े उत्साह और स्वाभिमान के साथ मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. जिसके तहत देश की आन-बान-शान के लिए लड़कर शहीद हुए सैनिकों को याद कर उन्हें सम्मानित किया जाता है. इस अवसर पर विभिन्न किस्मों के सांस्कृतिक समारोह आयोजित करने के अलावा, बीएसएफ डीआइजी उन लोगों के लिए विशिष्ट वीरता पुरस्कारों की घोषणा करते है, जिनके शौर्य और साहस के कारण पूरा देश सुरक्षित रहता है. इस अवसर पर वार्षिक बीएसएफ स्थापना दिवस परेड आयोजित की जाती है, जिसमें बीएसएफ के जवान गर्व से मार्च करते हैं. इस दिन को राष्ट्रीय पर्व चिह्नित करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया जाता है.