डच अस्पताल (Dutch Hospital) के एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynecologist) ने महिलाओं को बिना बताए अपने स्पर्म डोनेट (Sperm Donate) करके लगभग 17 बच्चों को जन्म दिया है. Jan Wildschut नाम के स्त्री रोग विशेषज्ञ अब इस दुनिया में नही हैं, लेकिन उन्होंने साल 1981 से साल 1993 तक पूर्व सोफिया अस्पताल (Sophia Hospital) के फर्टिलिटी क्लिनिक में काम किया था. अब अस्पताल का नाम बदलकर इसाला अस्पताल (Isala hospital) कर दिया गया है. इसाला अस्पताल ने अपने स्टेटमेंट में पुष्टि की है कि Jan Wildschut अपने स्पर्म का उपयोग रहे थे. और अस्पताल ने उनके कृत्यों को नैतिक रूप से अस्वीकार्य बताया है.
डॉक्टर कृत्रिम गर्भाधान इकाई (Artificial Insemination Unit) में काम कर रहे थे. कर्मशियल डीएनए बैंकों में असंबंधित बच्चों के बीच मेल खाने के बाद डॉक्टर के इस कृत्यों का खुलासा हुआ है. अस्पताल के बयान में कहा गया है कि नैतिक दृष्टिकोण से इसला को यह अस्वीकार्य लगता है कि एक स्त्री रोग विशेषज्ञ-फर्टिलिटी डॉक्टर चिकित्सक और स्पर्म डोनर दोनों थे. पिछले साल एक डोनर के माता-पिता अस्पताल पहुंचे. इसके परिणामस्वरूप डोनर बच्चों की संख्या और Wildschut के आधिकारिक संतानों को लेकर एक बैठक हुई. स्त्री रोग विशेषज्ञ के डोनर बच्चे, जिन्हें डीएनए टेस्ट का उपयोग करने की सलाह दी गई थी, वे नियमित संपर्क में हैं और उनके परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं. यह भी पढ़ें: IVF Treatment के बाद स्पर्म डोनर से हुआ प्यार, अहमदाबाद की महिला पति से रहने लगी अलग मगर प्रेमी ने किया ऐसा काम कि महिला हो गई बेहाल
ऐसी संभावना है कि बच्चे अधिक हैं, लेकिन उन्होंने अधिक विवरण नहीं दिया है. अस्पताल ने Wildschut का एक डीएनए प्रोफाइल रखा है, ताकि डोनर बच्चे फ्री टेस्ट के लिए साइन अप करके अपने जैविक पिता का पता लगा सकें. रिपोर्टों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब किसी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट ने यहां शुक्राणु दाता की भूमिका निभाई है. यह भी पढ़ें: 8 साल साथ रहने के बाद महिला को पता चला कि उसका पति है स्पर्म डोनर, गुस्से में पत्नी ने उठाया ये कदम
पिछले साल अन्य डॉक्टर जान करबात (Jan Karbaat) ने माता-पिता को बताए बिना कम से कम 49 बच्चों को जन्म दिया था. रॉटरडैम उपनगर में लगभग 30 वर्षों तक उनका क्लिनिक था. डच कानून में संख्या की सीमा है, जिसके अनुसार एक शुक्राणु दाता से 25 तक की कल्पना की जा सकती है. 16 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को अपने डोनर की पहचान का पता लगाने का अधिकार है.