Chitragupta Puja 2025: कौन हैं भगवान चित्रगुप्त? जानें इनकी पूजा का महत्व, मूल तिथि, शुभ मुहूर्त, एवं पूजा-विधि!

पांच दिवसीय महापर्व दीपावली के पांचवें दिन भाई दूज और भगवान चित्रगुप्त-पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन कर्मों के अनुसार दण्ड तथा पुरस्कार देने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. कायस्थ समाज के लिए इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन वे भगवान चित्रगुप्त जी के साथ कलम दवात की पूजा का भी विधान है.

चित्रगुप्त पूजा 2025 (Photo Credits: File Image)

  पांच दिवसीय महापर्व दीपावली के पांचवें दिन भाई दूज और भगवान चित्रगुप्त-पूजा (Chitragupta Puja) का पर्व मनाया जाता है. इस दिन कर्मों के अनुसार दण्ड तथा पुरस्कार देने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. कायस्थ समाज के लिए इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन वे भगवान चित्रगुप्त जी के साथ कलम दवात की पूजा का भी विधान है. इस दिन को मस्य धर पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ है मसि अर्थात स्याही और धर अर्थात पात्र अर्थात दवात. चित्रगुप्त पूजा (23 अक्टूबर 2025) के अवसर पर आइये जानते हैं चित्रगुप्त के प्राकट्य के बारे में, साथ ही जानेंगे, चित्रगुप्त पूजा का माहात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि आदि के बारे में..

कौन हैं चित्रगुप्त और क्यों होती है इस दिन इनकी पूजा

चित्रगुप्त का शाब्दिक अर्थ है चित्र अर्थात चित्रित, गुप्त अर्थात जो स्पष्ट रूप से गुप्त कर्मों के भी ज्ञाता हैं. पुराणों के अनुसार भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रह्मा की काया (शरीर) से हुआ था, इसी कारण उन्हें कायस्थ जाति के अधिपति भी कहा जाता है. चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति का मुख्य उद्देश्य जीवों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखना था. तभी तय होता है कि किसे स्वर्ग में जगह मिलेगी और किसे नर्क में. यह भी पढ़ें : Chitragupta Puja 2025 Messages: चित्रगुप्त पूजा के इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings को भेजकर दें शुभकामनाएं

चित्रगुप्त पूजा का महत्व

भगवान चित्रगुप्त न्यायकर्म और सत्य के प्रतीक हैं. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उनकी पूजा हमें दर्शाती है कि जीवों के हर कर्म का लेखा-जोखा होता हैऔर हमें सच्चाईन्याय और अच्छे कर्मों के मार्ग पर चलना चाहिए. चित्रगुप्त जी को लेखनन्याय और प्रशासन का देवता भी माना जाता हैइसलिए विद्यार्थीलेखकऔर न्यायिक सेवाओं में लगे लोग भी उनकी विशेष पूजा करते हैं, भले वह कायस्थ समाज के ना हों.

चित्रगुप्त पूजा की मूल तिथि एवं मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः 08.16 PM (22 अक्टूबर 2025, गुरुवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्त 10.46  PM (23 अक्टूबर 2025, शुक्रवार)

उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर 2025 को चित्रगुप्त पूजा की जाएगी.

पूजा का शुभ मुहूर्तः 01.13 PM से 03.28 PM तक कुल अवधि 2 घंटे 15 मिनट

पूजा सामग्रीः सादा पेपर, कलम, सुपारी एवं पान, (जितने लोग पूजा करने वाले हों उतनी संख्या), अक्षत, पुष्प, पुष्प हार हल्दी-पानी का पतला लेप, रोली, मिष्ठान.

चित्रगुप्त पूजा का विधि-विधान

  कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को सुबह-सवेरे स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा-स्थल पर एक चौकी रखें, इस पर पीला या लाल वस्त्र बिछाएं. गणेश भगवान, चित्रगुप्त जी एवं देवी सरस्वती की तस्वीर रखें. इस पर अपनी पुस्तक, लैपटॉप, मोबाइल जैसे शिक्षा एवं व्यवसाय संबंधित वस्तुएं भी रखें. चित्रगुप्त जी की पूजा से मनोवांछित फलसुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

भगवान के सामने आसन बिछाकर बैठे. सभी देवी-देवताओं गंगाजल छिड़ककर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. उन्हें रोली-अक्षत का टीका लगाएं धूप-दीप प्रज्वलित कर पहले गणेश जी की पूजा करें. सभी भगवान को पुष्प एवं पुष्प हार एवं मिष्ठान चढ़ाएं.

चित्रगुप्त जी का ध्यान कर सादे पेपर पर हल्दी लेप से चित्रगुप्त जी का प्रतीकात्मक रेखाचित्र बनाएं. इसकी एक तरफ दवात, और दाईं तरफ कलम का चित्र बनाएं. नीचे सर्वप्रथम गणेश जी, और चित्रगुप्त जी का नाम पांच-पांच बार लिखें. अब अपने तीन इच्छित देवी-देवता का नाम लिखें. नीचे अपना नाम एवं पता लिखे.

 अब चित्रगुप्त जी की रेखाचित्र पर रोली-अक्षत का टीका लगाएं. पान पर सुपारी एवं एक मिठाई रखें.

 सर्वप्रथम गणेश जी की आरती, फिर चित्रगुप्त जी की आरती उतारें. तत्पश्चात पूजा-पाठ में जाने-अनजाने हुई भूल के लिए छमा याचना करें. अंत में प्रसाद वितरित करें. 

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