Chaitra Navratri 2023: इस बार कई शुभ ग्रहों के योग में करें दुर्गाजी का अनुष्ठान! होगी हर मनोकामना पूरी!
शारदीय नवरात्रि (Photo Credits: File Image)

चैत्र मास शुरू हो चुका है, यानी अब प्रतीक्षा है चैत्रीय नवरात्रि की. हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्लपक्ष की प्रथमा से नवमी तक चैत्रीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया जाता है. इन नौ दिनों तक श्रद्धालु व्रत रहते हुए मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अनुष्ठान किया जाता है, जिसकी शुरूआत कलश स्थापना से होती है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस बार नवरात्रि पर कुछ ग्रहों एवं नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग होने से इसका महात्म्य कई गुना बढ़ जायेगा. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023, बुधवार से शुरू हो रहा है आइये जानें चैत्र नवरात्रि का महात्म्य, पूजा विधि, मुहूर्त एवं कलश स्थापना विधि इत्यादि.

चैत्र नवरात्रि का महत्व!

हमारे धर्म पुराणों में माँ दुर्गा को ब्रह्मांड की सर्वशक्तिशाली स्त्री माना गया है, जिन्हें शक्ति के रूप में पूजा जाता है. चैत्र नवरात्रि पर उपवास एवं पूजा-अनुष्ठान से अपार धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. लेकिन चूंकि यह व्रत एवं अनुष्ठान दोनों ही आसान नहीं है, श्रद्धालुओं को नवरात्रि के सभी नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है. कुछ लोग नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन व्रत रखते हैं तो कुछ लोग सभी नौ दिन उपवास रखते हैं, जिस घर में घट स्थापना रखा जाता है, स्वच्छता, अनुशासन, कठोर उपवास, ब्रह्मचर्य का पालन आदि करना जरूरी है.

घटस्थापना की तिथि!

नवरात्रि प्रतिपदा प्रारंभः 10.52 PM (21 मार्च 2023, मंगलवार)

नवरात्रि प्रतिपदा समाप्तः 08.20 PM (22 मार्च 2023, बुधवार)

उदया तिथि के अनुसार नवरात्रि प्रतिपदा 22 मार्च 2023 को होगी, इसी दिन घट स्थापना होगी.

कई ग्रहों का योग एवं घट-स्थापना मुहूर्तः 06.29 AM से 07.39 AM तक

ग्रहों का दुर्लभ योगः शनि और मंगल मकर राशि में रहेंगे. इन 9 दिनों में रवि पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग का निर्माण हो रहा है. इस तरह जानकार बताते हैं कि यह नवरात्रि जातकों के लिए बहुत शुभ होने वाला है, इसलिए अगर आप इस चैत्र नवरात्रि में व्रत एवं देवी की पूजा करते हैं तो आपको इस दौरान शुरू किये गये सभी कार्यों में सफलता मिलेगी. इसके साथ ही नवरात्रि में मीन राशि में सूर्य-बुध की युति से बुद्धादित्य योग बनता है. कुछ राशि के लिए यह योग शुभ साबित हो सकता है.

घटस्थापना पूजा-विधि!

चैत्र प्रतिपदा की सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों और माँ भगवती का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अब पूजा स्थल पर एक स्वच्छ एवं धुली हुई चौकी रखें और इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. अब एक कलश में कलाई नारा बांधें. कलश में जल के साथ गंगाजल, सुपारी, सिक्का, रोली डालकर ऊपर से आम अथवा अशोक के पेड़ का पत्ता रखें. इसके ऊपर लाल चुनरी में लिपटा नारियल रखें. इस कलश को चौकी पर स्थापित करें. अब कलश के बगल में धूप-दीप प्रज्वलित करके रखें और दुर्गाजी के निम्न आह्वान मंत्रों का जाप करें.

* सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

* ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

* या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

अब माँ दुर्गा की प्रतिमा को लाल फूलों से बना हार पहनाएं. दुर्गा जी को सिंदूर, रोली, अक्षत, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. प्रसाद में दूध की मिठाई एवं फल अर्पित करें. अब दुर्गा शप्तसदी का पाठ करें और अंत दुर्गा जी की आरती उतारें, और लोगों में प्रसाद वितरित करें.