Camel Festival 2019: बीकानेर में 26वें अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव की हुई शुरुआत, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ उठा सकते हैं ऊंट नृत्य का लुत्फ

बीकानेर में ऊंट उत्सव का आगाज हो चुका है. शनिवार को बीकानेर के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में 26वे अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव का आगाज किया गया. जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने सफेद कबूतर और रंग-बिरंगे गुब्बारे छोड़कर इसकी औपचारिक शुरुआत की.

अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव (Photo Credits: Twitter)

बीकानेर: बीकानेर (Bikaner) में ऊंट उत्सव (Camel Festival) का आगाज हो चुका है. शनिवार को बीकानेर के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम (Dr. Karni Singh Stadium) में 26वें अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव का आगाज किया गया. जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने सफेद कबूतर और रंग-बिरंगे गुब्बारे छोड़कर इसकी औपचारिक शुरुआत की. 12-13 जनवरी तक चलने वाले इस दो दिवसीय उत्सव की शुरुआत के मौके पर स्टेडियम में देश के विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने भांगड़ा, गेर आदि लोकनृत्यों और मशक, बीन, अलगोजा एवं खड़ताल जैसे लोक वाद्यों की मधुर स्वरलहरियों से वातावरण को उत्सवमयी बना दिया.

हालांकि इससे पहले जूनागढ़ के आगे से अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव (International Camel Festival) की शोभायात्रा शुरू हुई. इस शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंटों पर पारम्परिक वेशभूषा में रौबीले, सिर पर मंगल कलश लिए हुए महिलाएं, तांगों पर राजस्थानी वेशभूषा में सवार विदेशी सैलानी, आमजन के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे.

मान्यताओं के अनुसार, बीकानेर को राव बीका जी ने बसाया था और उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम बीकानेर पड़ा. बताया जाता है कि राव बीका जी ने ऊंटों का पालन-पोषण शुरु किया. ऊंट को राजस्थान के रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है और पुराने समय में भी यातायात के साधन के तौर पर ऊंटों का ही इस्तेमाल किया जाता था. खास बात तो यह है कि राजस्थान के बॉर्डर इलाके पर भारतीय सेना की एक ऐसी टुकड़ी भी है जो ऊंट पर सवार होकर सरहद की निगरानी करती है. यह भी पढ़ें: International Kite Festival 2019: अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव में दुनिया के 45 देश शामिल, तस्वीरों में देखिए कैसे रंग-बिरंगी पतंगों से गुलजार हुआ आसमान

गौरतलब है कि इस ऊंट उत्सव के दौरान कई तरह के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिसमें यहां आने वाले लोग न सिर्फ राजस्थान की संस्कृति और परंपरा से रूबरू होते हैं, बल्कि ऊंट की सवारी, ऊंट नृत्य और दहकते हुए अंगारों पर पारंपरिक नृत्य का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

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