Bhai Dooj 2021: दीप-महोत्सव का 5वां दिन भाईदूज! जानें इस पर्व का महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि एवं रोचक कथा!

कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को भाईदूज मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है. इसे यमद्वितीया भी कहते हैं. रक्षाबंधन की तरह यह पर्व भी भाई-बहन के स्नेहिल पर्व जैसा है, फर्क यही है कि रक्षाबंधन सोशल पर्व कहलता है, जबकि भाईदूज आध्यात्म से जुड़ा पर्व है, क्योंकि मान्यता है कि यह त्योहार मृत्यु के देवता यमराज एवं बहन यमुना के प्रेम की आध्यात्मिक कथा पर केंद्रित है.

भाई दूज 2021 (Photo Credits: File Image)

कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को भाईदूज (Bhai Dooj) मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है. इसे यमद्वितीया भी कहते हैं. रक्षाबंधन की तरह यह पर्व भी भाई-बहन के स्नेहिल पर्व जैसा है, फर्क यही है कि रक्षाबंधन सोशल पर्व कहलता है, जबकि भाईदूज आध्यात्म से जुड़ा पर्व है, क्योंकि मान्यता है कि यह त्योहार मृत्यु के देवता यमराज एवं बहन यमुना के प्रेम की आध्यात्मिक कथा पर केंद्रित है. इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उसके दीर्घकालिक एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं. भाई उसे उपहार देते हैं. कहते हैं कि भाईदूज पर बहन के हाथों तिलक लगवाने और उसके घर भोजन ग्रहण करनेवालों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. इस वर्ष यह पर्व 6 नवंबर 2021 यानी आज मनाया जायेगा.

पूजा की थाली ऐसे तैयार करें

भाईदूज के दिन शुभ मुहूर्त पर भाई की आरती उतारने से पूर्व स्टील की थाली में निम्न वस्तुओं का संग्रह अवश्य कर लें. एक नये स्टील के प्लेट में रोली, दही, पिसी हुई हल्दी, सिंदूर, फूल, माला, चावल, सुपारी, जटा वाला नारियल, चांदी का सिक्का, मिठाई, दूब एवं केला तथा एक प्रज्जवलित दीप रखें. थाली स्टील की इसलिए लें क्योंकि पीतल या तांबे की थाली में दही रखने से यह जहरीला हो सकता है. यह भी पढ़ें : Chitragupta Puja 2021 Messages: चित्रगुप्त पूजा पर दोस्तों-रिश्तेदारों को इन WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images के जरिए दें शुभकामनाएं

ऐसे करें भाई की पूजा!

सनातन धर्म के अनुसार कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की द्वितीया के दिन बहन प्रथम आराध्य श्रीगणेश जी अथवा विष्णु जी की औपचारिक पूजा एवं आरती करते हैं. इसके बाद बहनें भाई को एक सुसज्ज चौकी पर बिठाकर उसके सर पर रूमाल रखें, अब हाथों में चावल और सिंदूर का लेप लगायें. इसके पश्चात हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, नारियल और चांदी का सिक्का रखें. अब रोली और दही मिलाकर चावल के साथ लेकर भाई के मस्तक पर तिलक लगाएं. तिलक लगाते हुए बहन निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें, भाई की दाई हाथ में कलाईनारा बांधते हुए भाई की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें. इसके पश्चात भाई की आरती उतारें. अंत में भाई को मिठाई से मुंह मीठा करवायें, इसके पश्चात भाई अपनी क्षमतानुसार बहन को उपहार देते हैं.

बहन द्वारा भाई के लिए मंत्र!

'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को,

गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े.

भाई दूज से जुड़ी आध्यात्मिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर राक्षस का संहार कर अपने सैनिकों के साथ द्वारिका लौटते हैं. श्रीकृष्ण के इस विजय उत्सव की खुशी में उनकी बहन सुभद्रा ने संपूर्ण द्वारिका में घी के दीपक जलाने के आदेश दिये. श्रीकृष्ण महल में प्रवेश करने पर सुभद्रा अपने विजयी भाई श्रीकृष्ण के मस्तक पर रोली एवं अक्षत अथवा पीले चंदन का तिलक लगाकर मिठाई खिलाती हैं, और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.

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