Annapurna Jayanti 2023: कौन हैं अन्नपूर्णा देवी? जानें इनके प्रकाट्य का रहस्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि!

हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जिस घर में माँ लक्ष्मी के साथ माता अन्नपूर्णा देवी की विशिष्ठ पूजा-अर्चना की जाती है, उस घर में पूरे साल धन-धान्य से भरा रहता है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी दिन माँ अन्नपूर्ण जी धरती से प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन विशेष विधि-विधान से माँ अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है.

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हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जिस घर में माँ लक्ष्मी के साथ माता अन्नपूर्णा देवी की विशिष्ठ पूजा-अर्चना की जाती है, उस घर में पूरे साल धन-धान्य से भरा रहता है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी दिन माँ अन्नपूर्ण जी धरती से प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन विशेष विधि-विधान से माँ अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. इस वर्ष 26 दिसंबर 2023, मंगलवार को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी. आइये जानते हैं कब और कैसे प्रकट हुई थीं देवी अन्नपूर्णा एवं क्या है इनकी पूजा-विधि इत्यादि..

ऐसे अवतरित हुई थीं मां अन्नपूर्णा!

मां अन्नपूर्णा को देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है. किंवदंतियों के अनुसार एक बार धरती पर अन्न की कमी हो गई थी, जिस वजह से चारों तरफ भूखमरी फैल गई. लोग अन्न के एक-एक दाने के लिए तरसने लगे थे. पृथ्वीवासियों की यह दुर्दशा देखकर उनके कष्ट दूर करने हेतु माता पार्वती अन्नपूर्णा देवी के रूप में अवतरित हुईं, और उनकी कृपा से संपूर्ण धरती फसलों से लहलहा उठी. इसीलिए मां पार्वती के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा अर्थात अन्न की देवी कहा जाता है. मान्यता है कि जिस घर में देवी अन्नपूर्णा की कृपा बरसती है, उस घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती. यह भी पढ़ें : Sanjeevan Samadhi Sohala Images In Marathi: संजीवन समाधि सोहला पर इन मराठी WhatsApp Stickers, Messages, SMS, Wallpapers के जरिए करें संत ज्ञानेश्वर महाराज को नमन

अन्नपूर्णा जयंती शुभ मुहूर्त एवं तिथि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा प्रारंभः 05.46 AM (26 दिसंबर 2023, मंगलवार

मार्गशीर्ष पूर्णिमा समाप्तः 06.02 AM 27 दिसंबर 2023. बुधवार

उदयातिथि के अनुसार 26 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी.

इस विधि से करें देवी अन्नपूर्णा का पूजा-अनुष्ठान

देवी अन्नपूर्णा की पूजा-व्रत रखनेवालों को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पूरे घर की सफाई करनी चाहिए. इसके पश्चात पवित्र स्नान करें. अब एक छोटी चौकी को स्वच्छ कर उस पर लाल आसन बिछाएं. इस पर भगवान शिव, देवी पार्वती एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव कर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. शुद्ध घी का दीपक और धूप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.

ओम ह्रींग अन्नपूर्णाय नमः

प्रतिमा को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं, पुष्प अर्पित करें और पुष्पहार पहनाएं. रोली, सिंदूर, इत्र, सात प्रकार के अन्न अर्पित करें. प्रसाद में दूध केशर का खीर एवं फल चढ़ाएं. अन्नपूर्णा देवी की आरती उतारें और प्रसाद सभी को वितरित करें.

बारंबार प्रणाम, मैया बारंबार प्रणाम ।

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम ।

अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।

प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम ।

सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।

चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम ।

चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।

देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम ।

त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।

श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम ।

कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।

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