एकनाथ शिंदे गुट के नेता दीपक केसरकर ने कहा, 'मैं एकनाथ शिंदे से मिलता था क्योंकि वह हमारी पार्टी में नेता नंबर 2 थे. मैं जब भी उनसे मिलता था तो वो जाकर उद्धव जी से मिलते थे और कहते थे कि बीजेपी से अपने पुराने रिश्ते को फिर से जगाना है. ऐसा नहीं हुआ और एकनाथ शिंदे चले गए.'

मैंने अपने सहयोगियों से कहा कि जब मैं वहां नहीं रहूंगा तब भी उद्धव साहब से मिलें और पता करें कि वह क्या सोच रहे हैं और उनकी हर संभव मदद करें. उन्हें पता चला कि उद्धव ठाकरे का विचार था कि अगर एकनाथ शिंदे को बाहर रखा गया तो वे बीजेपी के साथ गठबंधन में साथ आ जाएंगे.

दीपक केसरकर ने कहा, आप उन्हें अपना आशीर्वाद दें, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. आपकी एक ही विचारधारा है, आपको महाराष्ट्र के हित और राष्ट्र हित में एक साथ रहना चाहिए.

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