Year Ender 2021: जानें ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रमुख रक्षा सौदे, इन हथियारों से थर-थर कांपेंगे दुश्मन
पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दिया और देश के सभी महत्वपूर्ण रक्षा क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए 2021 में कई प्रमुख रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए. आइए जानते हैं हथियार की खरीद के लिए साल 2021 में भारत द्वारा किए गए कुछ प्रमुख समझौतों के बारे में...
दिल्ली, 31 दिसंबर : साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से केंद्र सरकार का मुख्य फोकस भारतीय सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण रहा है. तब से लेकर अब तक भारत ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ कई प्रमुख रक्षा सौदे किए हैं.
आइए जानते हैं कि साल 2021 में भारत ने किन रक्षा सौदों पर करार किया
AK-203
भारत और रूस ने इस साल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के अमेठी में लगभग छह लाख AK-203 असॉल्ट राइफलों के निर्माण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. यह परियोजना रूस के साथ साझेदारी में की जाएगी. यह समझौता न सिर्फ भारतीय सेना को ‘मेड इन इंडिया’ आधुनिक राइफल से लैस करेगा, बल्कि यूपी को भारत का रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने में भी मदद करेगा.
सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग
भारत और रूस ने अगले दशक के लिए सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए एक अन्य समझौते पर भी हस्ताक्षर किए. दोनों देशों ने सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग (आईआरआईजीसी- एम एंड एमटीसी) पर 20वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर किए.
प्रीडेटर ड्रोन
इस वर्ष भारत ने 3 बिलियन अमरीकी डॉलर में 30 मल्टी-मिशन सशस्त्र ‘प्रीडेटर’ ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. तीनों सेनाओं को प्रत्येक में 10 ड्रोन मिलने की संभावना है. ‘प्रीडेटर’ ड्रोन को लंबे समय तक हवा में रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है. यह ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम हैं और इन्हें सीमा पर तैनात किया जा सकता है. इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने के लिए तैनात किया जा सकता है.
NextGen technology ड्रोन, रोबोटिक्स
नवंबर 2021 में, भारत और इजराइल ने अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और उत्पादों जैसे ड्रोन, रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. द्विपक्षीय नवाचार समझौता (बीआईए) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और इजरायल के रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय के बीच हुआ. इस कदम से ड्रोन, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, फोटोनिक्स, बायोसेंसिंग, ब्रेन-मशीन इंटरफेस, एनर्जी स्टोरेज, वियरेबल डिवाइसेज, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग आदि जैसे क्षेत्रों में बेहतर मदद मिलेगी.
बीते 5 वर्षों में इन देशों से किए प्रमुख रक्षा सौदे
‘3 फरवरी 2021’ को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने भारत द्वारा बीते पांच वर्षों में किए गए रक्षा सौदों का खाका पेश किया जो निम्न लिखित है:
• अक्टूबर, 2020 से बीते 5 वर्षों तक, 261 अनुबंधों में से 96 अनुबंधों पर रूस, फ्रांस, इजराइल, यूएस जैसे कई देशों के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं. उपकरण की डिलीवरी और उसके भुगतान की शर्तें प्रत्येक अनुबंध में निर्दिष्ट हैं.
26 फरवरी 2021 तक
भारत में बनी इस्राइली टेवर एक्स 95 राइफलें
अब तक, भारत को इजरायल वेपन्स इंडस्ट्री से अपनी टैवर एक्स 95 राइफल मिलती थीं. अब, इनको भारत में ही बनाया जा रहा है और केंद्रीय और राज्य बलों को आपूर्ति की जा रही है.
83 नए लड़ाकू विमान के लिए ₹48,000 करोड़ का सौदा
भारत के रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके-1ए जेट की आपूर्ति के लिए 48,000 करोड़ रुपये का अनुबंध दिया, जिसमें भारतीय वायु सेना को तेजस लड़ाकू विमान मिला. पहला तेजस एलसीए तीन साल में वायु सेना को दिया जाना है. बाकी की आपूर्ति 2030 तक की जाएगी. इन 83 नए विमानों में से 73 एमके-1ए लड़ाकू जेट हैं और 10 एलसीए एमके-1 ट्रेनर विमान हैं.
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ 1,000 करोड़ रुपये
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो टैक्टिकल (एसडीआर-टीएसी) की खरीद के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. डिजाइन और विकास एसडीआर-टीएसी रक्षा अनुसंधान और डीआरडीओ, हथियार और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग प्रतिष्ठान (डब्ल्यूईएसईई), बीईएल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) और भारतीय नौसेना के बीच एक संयुक्त उद्यम है. रेडियो सिस्टम अपने आप में एक चार चैनल मल्टी-मोड, मल्टी-बैंड, 19 रैक माउंटेबल और शिप बोर्न डिजाइन है.
भारतीय सेना को ₹8,400 मूल्य के 118 अर्जुन मार्क-1ए टैंक
दिसंबर 2020 में, रक्षा मंत्रालय ने 118 अर्जुन मार्क-1ए टैंकों को भारतीय सेना में शामिल करने की मंजूरी दी थी. इनका संचयी मूल्य लगभग 8,400 करोड़ रुपये है. टैंक स्वदेशी रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाए गए हैं. यह टैंक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है. इसमें समग्र कवच और कंप्यूटर स्थिर अग्नि नियंत्रण प्रणाली है, साथ ही 2,000 मीटर दूर तक के लक्ष्य पर निशाना लगाने की क्षमता है. इसके पुराने संस्करण की तुलना में इसमें 72 से अधिक विशेषताएं हैं. ये नए टैंक भारतीय सेना के पास हैं और सीमा के साथ पश्चिमी रेगिस्तान में तैनात हैं.
इजरायली ‘SPICE’ बमों के लिए $200 मिलियन का सौदा
देश ने इजरायल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम के साथ 200 मिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इस सौदे में बम मार्गदर्शन किट, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और सॉफ्टवेयर-सक्षम रेडियो की खरीद शामिल है. स्पाइस बम एक खतरनाक हथियार हैं, जिनका प्रयोग फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक में किया गया था. आईएएफ के मिराज-2000 फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप्स को खत्म करने के लिए यह स्ट्राइक की थी.
उच्च ऊंचाई वाले UAV के लिए सेना का ₹ 140 करोड़ का सौदा
भारतीय सेना ने 14 जनवरी को एक भारतीय कंपनी, आइडियाफोर्ज से SWITCH सामरिक ड्रोन के एक उन्नत संस्करण का ऑर्डर दिया. ये विशेष ड्रोन हैं जो लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालित करने के लिए बनाए जाते हैं. यह सौदा $20 मिलियन यानि लगभग ₹140 करोड़ का है. इसकी डिलीवरी में लगभग एक साल का समय लगेगा.
10,994 करोड़ रुपये के 6 नए एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल विकसित करने की मंजूरी
‘मेक इन इंडिया’ को एक और बढ़ावा, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने DRDO को 6 नए एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल विकसित करने की मंजूरी दी. बीते साल सितंबर में विमान 10,994 करोड़ के बजट के साथ नए विमान भारतीय वायु सेना के लिए “आकाश में आंखें” के रूप में कार्य करेंगे.
HTT-40 ट्रेनर विमान के लिए अनुरोध
तेजस विमान के अलावा, रक्षा मंत्रालय HAL के HTT 40 ट्रेनर विमान की खरीद पर भी विचार कर रहा है. कंपनी ने 2016 में प्रोटोटाइप का प्रदर्शन किया और इसके निर्माण से भारत में घरेलू उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा.