भारत की पवित्र नदी गंगा पर WWF की यह रिपोर्ट कर देगी  हैरान और परेशान
गंगा नदी Photo Credit: Wikimedia Commons

नई दिल्ली: भारत में गंगा का महत्व क्या है यह किसी से छिपा नही है. गंगा सिर्फ एक नदी और जल के स्त्रोत से कई बढ़कर खुद में एक धर्म, एक मान्यता और एक सभ्यता है. भारत के करोड़ों लोग इसमें पलते हैं, उनका भरण पोषण होता है. भारत में गंगा जीवनदायिनी है. लेकिन WWF की एक रिपोर्ट आपको हैरान और परेशान कर देगी, जिसमे गंगा को सबसे अधिक संकटग्रस्त बताया गया है. देश के 2,071 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली नदी गंगा के बारे में वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) का कहना है कि गंगा विश्व की सबसे अधिक संकटग्रस्त नदियों में से एक है, लगभग सभी दूसरी भारतीय नदियों की तरह गंगा में लगातार पहले बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है.

उत्तराखंड में हिमालय के गोमुख ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा बंगाल के सुन्दरवन डेल्टा तक जीवन बांटती है. गंगा भारत में 2,071 किमी और उसके बाद बांग्लादेश में अपनी सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है. कृषि के साथ-साथ गंगा परमाणु बिजलीघरों, और अन्य कई कारखानों को जल देती है, जिसके कारण गंगा अपना जीवन खोते जा रही है.

गंगा का प्रदुषण चिंताजनक 

प्रदूषण की बात करें तो गंगा उत्तराखंड के मैदानी भागों से ही प्रदूषित होनी शुरू हो जाती है. ऋषिकेश से ही प्रदूषित हो रही गंगा बंगाल पहुंचते-पहुंचते इतनी प्रदूषित हो जाती है कि वापस उसे शुद्ध करना किसी भी प्रकार से मुमकिन नहीं है.

उत्तरप्रदेश के कई स्थानों में गंगा प्रदुषण अपने चरम पर है, कानपुर की ओर 400 किमी उल्टा जाने पर गंगा की दशा सबसे दयनीय दिखती है. कानपूर जैसे अन्य शहरों के साथ गंगा का गतिशील संबंध अब बमुश्किल ही रह गया है. जीवनदाई गंगा का जीवन अब खुद खतरे में हैं.

गंगा का महत्व

भारत में गंगा को सबसे पवित्र, पौराणिक और धार्मिक नदी माना जाता है. भारतीय पौराणिक ग्रंथों, धार्मिक कथाओं में इसका विशेष स्थान रहा है. गंगा खुद में धर्म और करोड़ों लोगों का जीवन है. आज के आधुनिक भारत में गंगा को उतना ही महत्व दिया जाता है, आज भी लाखों- करोड़ों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र गंगा है. गंगा हर रूप में जीवन का दूसरा नाम है, ऐसे में गंगा का घटता जलस्तर और बढ़ता प्रदूषण सभी के लिए चिंता का विषय है. पर्यावरणविदों द्वारा इस समस्या को सबसे बड़ी समस्या माना गया है, जिसमें अभी सुधार नहीं हुआ तो भविष्य संकट से नहीं उभर पाएगा.