Women's Reservation: महिला आरक्षण विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी; लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए इतनी सीटें फिक्स

राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून में बदल गया है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में शुक्रवार को अधिसूचना जारी की.

Women's Reservation: महिला आरक्षण विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी; लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए इतनी सीटें फिक्स
Draupadi Murmu Photo Credits: IANS

नई दिल्ली: राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी. राष्ट्रपति (President Droupadi Murmu) से मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून में बदल गया है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में शुक्रवार को अधिसूचना जारी की. इससे पहले महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था. इसे संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित कराया गया था. इससे लोकसभा और राज्यों के विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण मिलेगा. यह कानून 15 साल तक लागू रहेगा. उसके बाद आरक्षण की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है. महिला आरक्षण बिल को नारी शक्ति वंदन बिल नाम दिया गया है. संसद में कैसी रही है महिलाओं की भागीदारी, यहां पढ़ें पूरा इतिहास.

इससे लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, जो सीधे चुनाव से भरी जाएंगी. वहीं जो कोटा के भीतर एक तिहाई सीटें होंगी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए होंगी. यह 33 फीसदी आरक्षण राज्यसभा या राज्य के विधान परिषदों में लागू नहीं होगा.

महिला आरक्षण की क्या जरूरत पड़ी

भारत में कई राज्य विधानसभाएं भी राजनीति में लैंगिक विविधता की कमी से पीड़ित हैं. इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी जैसे राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10% से कम है.

कुछ राज्यों, जैसे बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में प्रतिनिधित्व थोड़ा अधिक है, जो 10% से 12% तक है. इसके विपरीत, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड क्रमशः 14.44%, 13.7% और 12.35% महिला विधायकों (विधानसभा सदस्यों) के साथ आगे हैं.

वर्तमान में, लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 543 सदस्यों की कुल संख्या का 15 फीसदी से भी कम है. इसी तरह दिसंबर 2022 में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 फीसदी है.


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