बादल फटने से तबाही: क्यों उत्तरकाशी में जमीन खिसकती है और बाढ़ आती है? जानें पहाड़ों के भूगोल का खतरनाक खेल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Generated by AI)

Why Uttarkashi Is a Disaster Hotspot: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हाल ही में बादल फटने से अचानक बाढ़ और भूस्खलन (ज़मीन खिसकना) की घटना हुई, जिसमें पाँच लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और दर्जनों लोग अब भी लापता हैं. हरसिल के पास धराली गाँव में आई इस तबाही में घर, होटल और सेना के कैंप का एक हिस्सा बह गया.

कई इमारतें पूरी तरह से मिट्टी और मलबे में दब गई हैं. खराब मौसम और मुश्किल रास्तों के बावजूद बचाव दल लगातार लोगों को खोजने में जुटा है.

इस इलाके का भूगोल कैसा है?

आपदा वाला यह इलाका गढ़वाल हिमालय के ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा है. यहाँ की खासियत है खड़ी पहाड़ी ढलानें, कच्ची और अस्थिर चट्टानें, और ग्लेशियर (बर्फ की नदी) से निकलने वाली नदियों का घना जाल. इसी बनावट की वजह से धराली, हरसिल और गंगोत्री जैसे इलाके भूस्खलन, अचानक आने वाली बाढ़ और मलबा बहने (Debris Flow) के लिए बहुत संवेदनशील हैं.

राज्य में भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा और यमुना जैसी नदियाँ संकरी घाटियों से होकर बहती हैं. ये नदियाँ ग्लेशियरों से निकलती हैं, इसलिए बारिश के मौसम में तेज़ बरसात और ग्लेशियर पिघलने से इनका जलस्तर बहुत तेज़ी से बढ़ जाता है. इसके साथ-साथ जंगलों की कटाई, सड़कों का निर्माण और बिना सोचे-समझे हो रहे कंस्ट्रक्शन ने इस इलाके की नाज़ुक भौगोलिक स्थिति को और भी खतरनाक बना दिया है, जिससे यहाँ बार-बार आपदाएँ आती हैं.


भागीरथी नदी का स्रोत और बहाव

भागीरथी नदी उत्तरकाशी जिले में लगभग 4,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने, गोमुख से निकलती है. वहां से यह गंगोत्री, हरसिल, उत्तरकाशी और टिहरी से होते हुए बहती है. रास्ते में इसमें जाध गंगा, केदार गंगा और भिलंगना जैसी सहायक नदियाँ मिलती हैं. आखिर में देवप्रयाग में यह अलकनंदा नदी से मिल जाती है और यहीं से इन दोनों की संयुक्त धारा गंगा कहलाती है. हालाँकि अलकनंदा में पानी ज़्यादा होता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं में भागीरथी को ही गंगा का मुख्य स्रोत माना जाता है.


धराली, गंगोत्री और मुखबा

  • धराली: यह भागीरथी नदी के किनारे बसा एक गाँव है, जो लगभग 2,680 मीटर की ऊँचाई पर है. यह हरसिल से 6 किमी और गंगोत्री से लगभग 14 किमी पहले पड़ता है.
  • मुखबा: हरसिल के पास स्थित यह छोटा सा गाँव देवी गंगा का मायका माना जाता है. सर्दियों में जब गंगोत्री मंदिर बर्फ से ढक जाता है, तो देवी गंगा की मूर्ति को यहीं मुखबा गाँव के मंदिर में ले आया जाता है. दिवाली से लेकर वसंत तक यहीं पर उनकी पूजा होती है.
  • हरसिल: यह खूबसूरत घाटी देहरादून से लगभग 200 किमी दूर है, जहां पहुंचने में 6-7 घंटे लगते हैं. दिल्ली से इसकी दूरी 440 से 480 किमी के बीच है.


हिमालय की अन्य नदियों का स्रोत

जिस तरह भागीरथी गोमुख से निकलती है, उसी तरह उत्तराखंड की कई दूसरी बड़ी नदियाँ भी ग्लेशियरों से ही निकलती हैं.

  • अलकनंदा नदी बद्रीनाथ के पास सतोपंथ और भगीरथ खड़क ग्लेशियर से निकलती है.
  • मंदाकिनी नदी केदारनाथ के पास चोराबारी ग्लेशियर से निकलती है.
  • पिंडर नदी कुमाऊँ में पिंडारी ग्लेशियर से निकलती है.

ये सभी नदियाँ साल भर बहती हैं, लेकिन मॉनसून में ग्लेशियर पिघलने और भारी बारिश के कारण इनका बहाव बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, जो अक्सर बाढ़ और तबाही का कारण बनता है.