दिल्ली की कुल 675 झुग्गियां में करीब 15 लाख से ज्यादा वोटर हैं जो दिल्ली के कुल मतदाताओं का 10% हिस्सा हैं.दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में तीन बड़ी पार्टियां: बीजेपी, कांग्रेस और आप, वोटरों को रिझाने के लिए कई मुद्दे उठा रही हैं जिनमें से एक बड़ा मुद्दा है झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को पक्के घर और बाकी नागरिक सुविधाएं मुहैया कराना.
झुग्गीवासियों की बढ़ती संख्या और उनके लिए स्थायी आवास की कमी चुनावी राजनीति का अहम हिस्सा बन गई है.
रविवार को शकूर बस्ती में एक चुनावी सभा में आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने इसी मुद्दे पर कहा कि बीजेपी नेता अमित शाह एफिडेविट पर हस्ताक्षर करके देते हैं कि वो दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले सभी लोगों को मकान दे सकेंगे, तो वो (केजरीवाल) चुनाव ही नहीं लड़ेंगे.
झुग्गियों में हैं 15 लाख से ज्यादा वोट
यह मुद्दा दिल्ली चुनाव में इतना जरूरी इसलिए बन गया है क्योंकि झुग्गीवासी दिल्ली में एक बहुत बड़ा वोटबैंक हैं. दिल्ली में कुल 675 झुग्गियां हैं और 1700 झुग्गी झोपड़ी क्लस्टर यानी वो इलाके जिनमें झुग्गियों के छोटे छोटे पॉकेट,और कई अनधिकृत कॉलोनियां. इन झुग्गी झोपड़ियों में 15 लाख से ज्यादा वोटर हैं. झुग्गीवासी दिल्ली के कुल मतदाताओं का 10% हिस्सा हैं और इसलिए सभी पार्टियां उन्हें अपनी ओर खींचना चाह रही हैं.
आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो इन 15 लाख से ज्यादा वोटरों में से लगभग 10 लाख लोग असल में वोट करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में दिल्ली बीजेपी महासचिव विष्णु मित्तल ने बताया है कि इनमें से लगभग 7 लाख वोट आम आदमी पार्टी को जाते हैं, 2 लाख वोट बीजेपी और बचे हुए कांग्रेस और अन्य पार्टियों को. अगर इस बार बीजेपी और 2-3 लाख वोटरों को अपनी ओर ले आई तो खेल पलट सकता है.
अनिश्चितता है झुग्गीवासियों की सबसे बड़ी परेशानी
इन इलाकों में रहने वाले लोग ना केवल बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं, बल्कि सबसे बड़ी चिंता है उनके घरों की कानूनी स्थिति. झुग्गियों पर अवैध होने के आरोप लोगों में डर और चिंता की स्थिति बनाए रखते हैं. आए दिन झुग्गियों को ढहाने की मांगें उठती रहती हैं.
2024 में, जी20 शिखर सम्मेलन से पहले, राजधानी के कई हिस्सों में अवैध निर्माणों को तोड़ने के अभियान चलाए गए थे. इनमें तुगलकाबाद, गोविंदपुरी और सुंदर नगर जैसे इलाकों में कई झुग्गियां हटाई गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2020 में जब रेलवे के बगल में लगी हजारों झुग्गियों को हटाने की बात कही थी तब भी झुग्गीवासियों में हड़कंप मच गया था.
झुग्गीवासियों के लिए आप, बीजेपी और कांग्रेस के वादे
आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया है कि उसने पहले ही कई झुग्गीवासियों को पुनर्वास और आवासीय सुरक्षा दी है. दिल्ली के पहले इन-सीटू पुनर्विकास परियोजना में, जहां दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने नेहरू कैंप, नवजीवन कैंप और भूमिहीन कैंप के झुग्गीवासियों को फ्लैट दिए हैं, वहां लगभग 8,000 झुग्गी परिवारों में से 2,000 परिवारों को आवास मिल चुका है. आप पार्टी के लिए यह पुनर्वास बड़ी भूमिका निभाएगा.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने चुनावी घोषणापत्र में झुग्गीवासियों के लिए पुनर्वास योजना की बात कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में जब बीजेपी ने दिल्ली की सातों सीटें अपने नाम की थीं उसी समय उन्होंने झुग्गीवासियों के लिए ‘झुग्गी विस्तारक योजना' का ऐलान भी किया था. कांग्रेस के राहुल गांधी भी जल्द ही ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान' नाम के डोर टू डोर अभियान से झुग्गीवासियों के बीच अपना खाता खोलने की तैयारी में लगे हुए हैं.
पार्टियों के दावों में कितनी सच्चाई
आम आदमी पार्टी कहती है कि उन्होंने हजारों झुग्गीवासियों को पुनर्वास कराया है, वहीं बीजेपी इन दावों को झूठा मानती है. बीते रविवार अरविंद केजरीवाल ने शकूर बस्ती की रैली में कहा कि भारतीय रेलवे ने शकूर बस्ती पर बनने वाले एक प्रोजेक्ट का टेंडर पारित किया है. इसका खंडन करते हुए उत्तर रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर बताया कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है और ऐसा कोई भी टेंडर पारित नहीं किया गया है.
आप ने इस मुद्दे पर दिल्ली उपराज्यपाल सक्सेना पर भी निशाना साधा और कहा कि वे दिल्ली में जमीन के कानूनों में बदलाव ला रहे हैं ताकि वहां विध्वंस आसान हो जाए.
इन दावों को झूठा बताते हुए दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पूर्वी दिल्ली में एक रैली में कहा कि आम आदमी पार्टी ने नरेला में राजीव आवास योजना के तहत आने वाले करीब 50,000 फ्लैट खाली छोड़ दिए हैं जहां झुग्गीवासियों का पुनर्वास कराना था.
दिल्ली में 5 फरवरी को चुनाव, नतीजे 8 को
दिल्ली में 5 फरवरी को एक चरण में विधानसभा चुनाव होगा और नतीजे की घोषणा 8 फरवरी को होगी. दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 83.49 लाख, महिला मतदाता 71.74 लाख और युवा मतदाता 25.89 लाख हैं. इनमें पहली बार वोट देने जा रहे मतदाताओं की कुल संख्या 2.08 लाख है. इसके अलावा, दिल्ली में 13 हजार से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए जाएंगे.