What is Five Eyes: ट्रूडो ने फाइव आईज को बनाया दादागिरी का नया हथियार! भारत के खिलाफ कैसे हुआ इस जासूसी नेटवर्क का इस्तेमाल?
फाइव आईज एक जासूसी गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत सरकार खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में शामिल है. इस आरोप के पीछे फाइव आईज के खुफिया जानकारी का हवाला दिया गया है.
फाइव आईज एक जासूसी गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत सरकार खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में शामिल है. इस आरोप के पीछे फाइव आईज के खुफिया जानकारी का हवाला दिया गया है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को सख्ती से खारिज करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया है.
फाइव आईज क्या है?
फाइव आईज (FIVE EYES) एक ऐसा गठजोड़ है जिसमें दुनिया के पांच शक्तिशाली देश शामिल हैं—अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूजीलैंड. यह गठबंधन विश्व के अन्य देशों पर नजर रखने, जासूसी करने और इंटेलिजेंस साझा करने के लिए बनाया गया था. इसके पीछे की सोच है—राष्ट्रीय सुरक्षा, लेकिन इसके कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है. इस लेख में हम इस गठबंधन के अस्तित्व, इसके औपनिवेशिक रुझान और हालिया घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे.
फाइव आईज कैसे बना?
फाइव आईज का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ था. उस समय ब्रिटेन का प्रभुत्व घट रहा था और अमेरिका का उदय हो रहा था. इन देशों को यह आवश्यक लगा कि एक ऐसा संगठन होना चाहिए जो उनके शत्रुओं पर नजर रख सके. इस कारण 1943 में अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले एक संधि की, जिसके बाद 1946 में इसे UKUSA समझौते में तब्दील किया गया. इस समझौते में बाद में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हो गए.
हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या यह गठबंधन औपनिवेशिक मानसिकता का परिचायक नहीं है? क्या यह सिर्फ अपने हितों के लिए अन्य देशों पर निगरानी रखने का एक साधन नहीं है?
आधुनिक जासूसी का रूप
फाइव आईज का काम केवल इंटेलिजेंस इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह उसे साझा करने और उसके आधार पर नीतियां बनाने का भी है. ये देश अपने तथाकथित राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए दुनिया के किसी भी कोने में जासूसी कर सकते हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में भारत पर आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिक खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में शामिल थे, जो कि इसी जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है.
यह आरोप उस समय आया है जब कनाडा ने फाइव आईज के अन्य देशों के साथ सूचनाएं साझा की थीं. यह स्पष्ट है कि ट्रूडो इस आरोप को भारत के खिलाफ दबाव डालने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत ने इसका सख्ती से खंडन करते हुए कनाडा के राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया.
Five Eyes विवाद क्या है?
- गुप्तचर गतिविधियाँ: Five Eyes देशों पर जासूसी और वैश्विक निगरानी करने के आरोप हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किया जाता है.
- कनाडा-भारत विवाद: हाल ही में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत के राजनयिक खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या में शामिल हैं, जिससे विवाद बढ़ गया.
- प्रेशर पॉलिटिक्स: ट्रूडो ने Five Eyes के माध्यम से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया है.
- साझा सूचना: Five Eyes देशों के बीच खुफिया सूचनाएँ साझा की जाती हैं, जो कभी-कभी दूसरे देशों पर नकेल कसने के लिए इस्तेमाल होती हैं.
Five Eyes अवधारणा क्या है?
- साझेदारी: Five Eyes एक अंतरराष्ट्रीय खुफिया साझेदारी है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
- इतिहास: यह गठबंधन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित हुआ और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) को प्राथमिकता देता है।
- सूचना का आदान-प्रदान: सदस्य देशों के बीच गुप्त जानकारी साझा की जाती है, जिससे वैश्विक सुरक्षा और निगरानी में मदद मिलती है।
- आधिकारिक नाम: इसका नाम "EYES ONLY" जैसे क्लासिफाइड दस्तावेज़ से लिया गया है, जो अत्यधिक गोपनीय होते हैं।
Five Eyes कौन-कौन से देश हैं?
- अमेरिका
- ब्रिटेन
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- न्यूजीलैंड
वैश्विक निगरानी के नैतिक प्रश्न
फाइव आईज के द्वारा वैश्विक निगरानी करने की नैतिकता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. क्या एक ऐसा संगठन होना चाहिए जो अपनी सुरक्षा के नाम पर दुनिया के दूसरे देशों पर नजर रखे? क्या यह लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है? यह ध्यान देने योग्य है कि इन देशों ने औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ने का दावा किया है, लेकिन उनका व्यवहार इसके विपरीत है.
आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से ये देश जासूसी के कई तरीके अपनाते हैं—फोन टैपिंग, साइबर निगरानी, और अन्य गुप्त ऑपरेशन. इन गतिविधियों की वैधता को लेकर विश्व समुदाय में विवाद बढ़ता जा रहा है.
दुनिया का बदलता समीकरण
ग्लोबल ऑर्डर में बदलाव हो रहा है, और फाइव आईज की दादागीरी पर सवाल उठने लगे हैं. भारत जैसे देश ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस गठबंधन की दबंगई को बर्दाश्त नहीं करेगा. यह दर्शाता है कि अब देशों की आवाजें और भी सशक्त हो रही हैं और वे अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए तैयार हैं.
फाइव आईज एक ऐसा संगठन है जो दुनिया में अपनी सुरक्षा के नाम पर जासूसी और निगरानी की गतिविधियों को अंजाम देता है. यह गठबंधन औपनिवेशिक धारणाओं का प्रतीक है और इसके कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने चाहिए. जैसे-जैसे वैश्विक स्थिति बदल रही है, यह आवश्यक है कि दुनिया के देशों को अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए. हमें यह समझना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी भी देश की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.
फाइव आईज अपनी कार्रवाई से न केवल अपने हितों की रक्षा कर रहा है, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के अधिकारों का भी उल्लंघन कर रहा है.