ITBP Jawans Carry Body of a Local on shoulders in Uttarakhand: उत्तराखंड में आईटीबीपी के जवानों ने एक स्थानीय व्यक्ति के शव को 8 घंटे तक कंधे पर लेकर पैदल तय किया 25 किमी का रास्ता (Watch Video)
देवभूमि उत्तराखंड में इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी के जवानों ने एक स्थानीय व्यक्ति के शव को करीब 8 घंटे तक अपने कंधे पर पर उठाकर 25 किलोमीटर का रास्ता पैदल तक किया ताकि शव को उनके परिजनों के हवाले कर सकें. आईटीबीपी के जवानों ने शव को कंधे पर लेकर पिथौरागढ़ जिले के सुदूर इलाके सिउनी गांव से मुनस्यारी पहुंचने के लिए इतना लंबा सफर पैदल तय किया.
पिथौरागढ़: देवभूमि उत्तराखंड में इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (Indo Tibetan Border Police) यानी आईटीबीपी (ITBP) के जवानों ने एक स्थानीय व्यक्ति के शव (Body of a Local) को करीब 8 घंटे तक अपने कंधे पर पर उठाकर 25 किलोमीटर का रास्ता पैदल तक किया ताकि शव को उनके परिजनों के हवाले कर सकें. आईटीबीपी के जवानों (ITBP Jawans) ने शव को कंधे पर लेकर पिथौरागढ़ जिले (Pithoragarh District) के सुदूर इलाके सिउनी गांव (Syuni village) से मुनस्यारी (Munsyari) पहुंचने के लिए इतना लंबा सफर पैदल तय किया. बताया जाता है कि भूपेंद्र राणा (30 वर्षीय) शख्स ऊंचाई पर स्थित आईटीबीपी के शिविरों तक राशन और आवश्यक सामान पहुंचाने का काम करता था. 28 अगस्त को जब वह बगदियार में आईटीबीपी चौकी जा रहा था, तब भूस्खलन (Landslide) की चपेट में आने के कारण मौके पर ही उसकी मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक, परिवार के अनुरोध पर आईटीबीपी के जवान मृतक के शव को उसके घर तक पहुंचाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन खराब मौसम के कारण जब हेलिकॉप्टर से उसके शव को नहीं ले जाया जा सका, तब आईटीबीपी के सात जवानों ने करीब 8 घंटे तक मृतक के शव को अपने कंधे पर लेककर 25 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय किया. यह भी पढ़ें: Uttarakhand: घायल महिला के लिए देवदूत बने ITBP के जवान, स्ट्रेचर पर लेकर 40 किलो मीटर पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल- देखें वीडियो
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भूपेंद्र राणा अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था, भूस्खलन में मारे जाने की खबर उसके दोस्तों ने ही परिवार वालों को दी थी, लेकिन सड़कों की खराब हालत के कारण वे शव को घर लाने में असमर्थ थे. राणा के दोस्तों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि शव को घर वापस लाने के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की जाए, लेकिन मौसम ने इजाजत नहीं दी, इसलिए आईटीबीपी के सात जवान शव को बगदियार से मुनस्यारी पैदल ही लेकर निकल पड़े. गौरतलब है कि 30 अगस्त को शव परिवार वालों को सौंप दिया गया और 31 अगस्त को उसका अंतिम संस्कार किया गया.