सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की सराहनीय पहल, सभी जिलों में बनेगा बाल मित्र पुलिस थाना, भटके हुए मासूमों को दी जाएगी सही दिशा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले शुक्रवार को देहरादून के डालनवाला में पहला बाल मित्र पुलिस थाना का शुभारंभ किया. उनके इस सराहनीय पहल से भटके हुए मासूमों को सही दिशा देकर तरक्की के पथ पर आगे बढ़ाया जायेगा.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Photo Credits: Facebook)

देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने पिछले शुक्रवार को देहरादून (Dehradun) के डालनवाला में पहला बाल मित्र पुलिस थाना का शुभारंभ किया. उनके इस सराहनीय पहल से भटके हुए मासूमों को सही दिशा देकर तरक्की के पथ पर आगे बढ़ाया जायेगा. राज्य पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे. इन थानों में बच्चों की काउंसलिग की व्यवस्था भी की जायेगी. इस काम के लिए पुलिस विभाग को अलग से 13 लाख रूपये दिये जायेंगे. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में उत्तराखंड को मिला एक और तमगा, देहरादून बना 100% साक्षरता वाला राज्य का पहला जिला

उत्तराखंड में बाल मित्र थाने को खोले जाने को एक नई शुरूआत बताते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह पुलिस का एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम साबित होगा. उन्होंने कहा कि बच्चों को जिस माहौल में ढ़ाला जाए, वे उस माहौल में ढ़ल जाते हैं इसलिए उन्हें बेहतर माहौल मिलना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाने से लोगों को ये लगे कि बच्चों के संरक्षक आ रहे हैं.

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि अनजाने में अपनी दिशा से भटक जाने वाले बच्चों को इन थानों के माध्यम से सही दिशा देने के प्रयास किये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित बच्चों के लिए सरकारी सेवाओं में पांच प्रतिशत तथा दिव्यांगजनों के लिए भी चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है. इस मौके पर सीएम ने बच्चों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ रुपये के राहत कोष की व्यवस्था करने का भी ऐलान किया है.

उल्लेखनीय है कि राज्य में ऑपरेशन ‘मुक्ति’ के तहत लगभग 2200 बच्चे की पहचान कर उन्हें सड़को से भीख मांगने के प्रचलन से बाहर निकाला गया है. इस अभियान के तहत ‘भिक्षा नहीं शिक्षा दो’ की मुहिम चलाई गई और अधिकांश बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं.

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