उत्तर प्रदेश में मासूमों को कोरोना से बचाने की मुकम्मल तैयारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: ANI)

लखनऊ, 19 मई: कोरोना की संभावित तीसरी लहर के प्रति विशेषज्ञ बच्चों को अधिक संवेदनशील बता रहे हैं. इन आशंकाओं को देखते हुए यूपी सरकार ने इससे निपटने के लिए पहले ही अपनी तैयरियां युद्ध स्तर पर शुरू कर दी हैं. दरअसल इसमें योगी आदित्यनाथ ने 1998 से लेकर मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के पहले तक पूर्वांचल के मासूमों के लिए कॉल बनी इंसेफेलाइटिस के नियंत्रण के लिए सड़क से लेकर संसद तक जो संघर्ष किया वो काम आ रहा है. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) तक इंसेफेलाइटिस को केंद्र में रखकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बुनियादी संरचना को मजबूत किया. तीन दर्जन से अधिक संवेदनशील जिलों में रोकथाम को लेकर सफाई और स्वच्छता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया उससे इंसेफेलाइटिस तकरीबन खत्म होने के कगार पर है. इंसेफेलाइटिस उन्मूलन के ये अनुभव कोराना से बच्चों को बचाने में मददगार बनेंगे.

ग्रासरूट पर इंसीफेलाइटिस से बच्चों को बचाने के लिए जो पीकू (पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर यूनिट) तैयार किए गए थे, जरूरत पर उसका उपयोग कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को महफूज रखने में किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में बच्चों के लिए 100- 100 बेड का आईसीयू तैयार रखने का निर्देश दिया है. इसी क्रम में अभी पिछले दिनों मुख्यमंत्री हर मंडल मुख्यालय पर 100-100 बेड का और जिला अस्पतालों में 25-25 बिस्तरों की क्षमता का बच्चों के लिए आईसीयू बनाने का निर्देश दे चुके हैं. साथ ही इसके लिए तय समय में जरूरी और दक्ष मानव संसाधन का बंदोबस्त करने का भी निर्देश दे चुके हैं. इंसेफेलाइटिस से मासूमों को बचाने के करीब चार दशक लंबे अनुभव के मद्देनजर बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिर्विसिटी के डॉक्टर इसके लिए बाकी चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग देंगे.

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मालूम हो कि प्रदेश के करीब तीन दर्जन खासकर गोरखपुर और बस्ती मंडल के सभी जिलों वर्ष 1976, 1977 से मासूमों के लिए कॉल बनी इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण करने में योगी सरकार काफी सफल रही है. 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक इंसेफेलाइटिस से प्रति वर्ष हजारों की संख्या में बच्चों की मौत हो जाती थी. शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग होने वालों की संख्या इससे करीब दोगुनी होती थी. अपने दो दशक के संसदीय कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ इंसेफेलाइटिस के खिलाफ सड़क से संसद तक पूर्वी उप्र के लोगों की आवाज बन गए थे. उनके कार्यकाल में किए गए समन्वित प्रयासों से वर्तमान में बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 फीसद की गिरावट आई है. जिस तरीके से सूबे के मासूमों को इंसेफेलाइटिस से बचाया गया उसी तरह से कोरोना के संभावित प्रकोप से बचाने लिए भी योगी सरकार की मुकम्मल तैयारी है.