लखनऊ: मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के दौरान लूटपाट करने के दो आरोपियों को यहां की एक अदालत ने यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उन्हें दोषी साबित करने के लिए सबूत उपलब्ध कराने में नाकाम रहा है.अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश पूनम राजपूत ने मंगलवार को सबूतों के अभाव में विनोद और जीतेन्द्र को बरी कर दिया। राजपूत ने कहा कि अभियोजन पक्ष उन्हें दोषी साबित नहीं कर पाया. अभियोजन पक्ष ने कहा कि दंगा पीड़ित हाशिम ने कई लोगों के खिलाफ फुगाना गांव स्थित उसके घर में दंगों के दौरान आठ सितम्बर 2013 को लूटपाट करने की शिकायत दर्ज कराई थी.
दंगों के मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने भादंवि की धारा 395 के तहत दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था.अभियोजन पक्ष के अनुसार इसके साथ ही सामूहिक दुष्कर्म के पांच मामलों सहित मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित 43 मामलों पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अभी तक 358 लोग बरी हो गए हैं. यह भी पढ़े: मुजफ्फरनगर दंगा: कवाल कांड के 7 दोषियों को मिली उम्रकैद की सजा, इसी घटना के बाद भड़की थी हिंसा
पुलिस ने दंगों के संबंध में 510 मामले दर्ज कर 1,480 लोगों को गिरफ्तार किया था। एसआईटी ने जांच के बाद 175 मामलों में आरोपपत्र दायर किया था.वहीं कवाल गांव में एक युवक की हत्या के मामले में आरोप तय करने के लिए अदालत ने 26 अगस्त की तारीख तय की है। दंगों से जुड़े इस मामले में पांच लोगों पर युवक की हत्या का आरोप है.
पुलिस के अनुसार छह लोगों ने शाहनवाज की 27 अगस्त को चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद एक अन्य घटना में गौरव तथा सचिन की हत्या के बाद 2013 के दंगे भड़के थे. शाहनवाज की हत्या मामले के पांच आरोपी मंगलवार को अदालत में पेश हुए। छठे आरोपी की अब भी तलाश जारी है.