कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, मेरठ (Meerut) के एक नामी प्राइवेट अस्पताल के दो पुरुष नर्सों को शनिवार को गिरफ्तार किया गया है. कथित रूप से आरोप है कि इन दोनों ने एक कोविड-19 पॉजिटिव मरीज (Covid-19 Positive Patient) को आवंटित किए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) को खुले बाजार में 32,000 रुपये में बेचने की कोशिश की. कोविड-19 पॉजिटिव मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन भी नहीं मिला और उसकी कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु भी हो गई. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रेमेडिसविर दवा जिसकी कीमत लगभग 900-2000 रुपये है उसकी नीलामी की गई और इसकी अंतिम बोली थी 25000 रुपये. यह भी पढ़ें- Uttar Pradesh: झांसी में 'मृत' महिला निकली जिंदा, जानिए हैरान करने वाले इस मामले की पूरी कहानी.
दरअसल, पुलिस ने मरीज के रिश्तेदारों के रूप में अपने आदमियों को दोनों आरोपियों के पास रेमडेसिविर का सौदा करने के लिए भेजा था जिसकी जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों को नहीं थी. रिपोर्ट के मुताबिक, शोभित जैन नाम के एक मरीज को उनकी गंभीर स्थिति के कारण रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया जाना था. उन्हें तीन डोज मिले थे लेकिन चौथा डोज दोनों पुरुष नर्सों ने चुरा लिया था और जब शोभित जैन की मौत हो गई तो उन दोनों ने ग्राहकों की तलाश शुरू कर दी. बोलियां लगाई गईं और अंत में सौदा 25000 रुपये में तय हुआ. हालांकि खरीददार स्थानीय पुलिसकर्मी थे जिन्होंने इनलोगों को पकड़ने के लिए यह जाल बिछाया था.
मेरठ के एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि सूचना मिलने के बाद हमारी सर्विलांस टीम और पुलिसकर्मी इस केस पर काम कर रहे थे. रेमडेसिविर की कीमत को लेकर सात दिनों तक बातचीत हुई. उन्होंने 32000 रुपये कीमत बताई थी. वो इंजेक्शन शोभित जैन के लिए था लेकिन उनकी मृत्यु हो गई और इन दोनों ने दवा को चुरा लिया. हमने आबिद खान और अंकित शर्मा नामक दोनों नर्सों को गिरफ्तार कर लिया है.
उन्होंने बताया कि सौदा तय हो जाने के बाद हमारी टीम अस्पताल पहुंची और इंजेक्शन के बारे में पूछा. जब नर्सों को पता चला गया कि ये पुलिस वाले हैं तो वे भागने की कोशिश करने लगे लेकिन हमने उन्हें पकड़ लिया. छह सुरक्षा गार्ड भी वहां तैनात थे जिन्होंने उन दोनों को बचाने की कोशिश की लेकिन पुलिसवाले उनसब पर भारी पड़े. गार्ड्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 147 (दंगा करना), 342 (गलत कारावास), 353 (सार्वजनिक बल पर अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और महामारी रोग अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं.