महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर अपमान, हिंदू महासभा की नेता ने बापू के पुतले में मारी गोली, लगाया 'गोडसे अमर रहे' के नारे
पूजा शकुन पांडे (Photo Credtis Youtube)

लखनऊ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 71वीं पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi 71st death anniversary) पर आज जहां पूरा देश उनके संघर्षों और विचारों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दे रहा है, वहीं दूसरी ओर एक कथित हिंदूवादी संगठन का शर्मनाक कृत्य सामने आया है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh) में अखिल भारत हिंदू महासभा (Akhil Bharatiya Hindu Mahasabha) की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे नाम की महिला ने बापू जी का अपमान किया है. उन्होंने बापू के पुतले को शूट करते हुए तस्वीरें खिंचवाईं. जिसके बाद उनके संगठन के लोगों ने गांधी जी के पुण्यतिथि को शौर्य दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने 'नाथूराम गोडसे अमर रहे' के नारे भी लगाए.

बता दें कि बापू जी के पुण्यतिथि पर उनके साथ जो अपमान किया गया वह अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे (Puja Shakun Pandey) और अन्य कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. लोगों के बीच वायरल हो रहे  इस वीडियो में देख सकते है कि पूजा शकुन पांडे के हाथ में एक नकली गन है. जिस गन से वे महात्मा गांधी के पुतले पर गोली मार रही है. गोली मारने के बाद उनके संगठन की तरह से नाथूराम गोडसे को लेकर नारे भी लगाए. यह भी पढ़े: महात्मा गांधी हत्या: 1959 में आज ही के दिन नाथूराम गोडसे के साथ इस शख्स को दी गई थी फांसी

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उनके द्वारा महात्मा गांधी के अपमान को लेकर फिलहाल पुलिस की तरफ से किसी भी तरह  कोई कार्रवाईनहीं  हुई है. लेकिन वे जिस तरह से गांधी जी के पुतले को गोली मारकर अपमान कर रही है. उसे देखते हुए पुलिस की तरफ से उनके खिलाफ जल्द ही कानून कार्रवाई हो सकती है. यह भी पढ़े: गांधी जयंती विशेष: महात्मा गांधी के इन पांच आंदोलनों ने हिला दी थी अंग्रेजों की नींव

बता दें कि 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला हाउस के परिसर में महात्मा गांधी की हत्या की गई थी. बापू की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे सहित 8 लोगों को साजिश में आरोपी बनाया गया था. मामले में 5 अभियुक्तों में से तीन- गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जबकि दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फांसी दी गई. 15 नवम्बर 1949 को गोडसे और आप्टे को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गई.