War Against Coronavirus: यूपी सरकार गांवों में घर-घर कर रही है जांच, WHO भी दे रहा साथ
सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है. सूबे में मंगलवार को कोविड-19 के 20,463 नये मामले आये और 306 मरीजों की मौत हो गई. इस बीच यूपी सरकार ने कोरोना मरीजों की पहचान के लिए गांवों में घर-घर जाकर जांच शुरू की है. इस पहल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी साथ दे रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार से टीकों की करोड़ों खुराकें खरीद सकती है उत्तर प्रदेश सरकार

पिछली साल कोरोना संक्रमण से दूर रहने वाले उत्तर प्रदेश के गांवों में इस साल संक्रमण अपनी पैठ बना रहा है. इस वजह से यूपी स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर जांच कर रही है. कई मरीज भी सामने में आ रहे है. यहां सीएचसी टीम के अलावा आशा वर्कर भी एंटीजन टेस्ट कर रही हैं. लोगों को जो किट दी जा रही है उससे लोगों की चिंता कम हो रही है.

प्रदेश भर में 5 मई से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों को संक्रमण से बचाने के लिए टेस्टिंग का अभियान शुरू करने का निर्देश दिया था. जिसके बाद प्रदेश के सभी गांवों स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर लक्षणयुक्त लोगों की जांच करेगी और उन्हें मेडिकल किट मुहैया कराएगी. यही नहीं जांच में पॉजिटिव आने पर आशा वर्करों और एएनएम की मदद से ट्रेक्रिंग कर अन्य लोगों की भी जांच की जाएगी.

डब्ल्यूएचओ भी यूपी सरकार के इस अभियान में मदद कर रहा है. विश्व संगठन ने कहा कि वह इस काम के कार्यान्वयन और योजना बनाने में सहयोग कर रहा है. इसके अलावा डब्ल्यूएचओ की और से निगरानी के लिए फील्ड ऑफिसरों की तैनाती भी की गई है ताकि रियल टाइम फीडबैक मिल सके.

बताया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ के फील्ड ऑफिसर दो हजार से अधिक सरकारी टीम की निगरानी कर रहे हैं और उन्होंने राज्य में करीब दस हजार घरों का दौरा भी किया है. वैश्विक एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में सरकार की टीमें पांच दिनों में 75 जिलों के 97,941 गांवों में जाएंगी.

रिपोर्ट के अनुसार हर मॉनिटरिंग टीम में दो सदस्य होते हैं, जो रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) किटों का उपयोग करके उन लोगों का टेस्ट करते हैं जिनमें लक्षण हैं. इसके बाद पॉजिटिव आने पर मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने के प्रोटोकॉल से अवगत कराकर उन्हें मेडिकल किट भी देती है. यही नहीं गंभीर मरीजों की रिपोर्ट बनाकर जरुरत के हिसाब से अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. जबकि संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट कराई जाती है.