जम्मू-कश्मीर के गरीब सवर्णों और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को भी मिलेगा आरक्षण, कैबिनेट की बैठक में लिया गया यह फैसला
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन ऑर्डिनेंस 2019 को मंजूरी दे दी है. इसके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में रहने वाले गरीब सवर्णों और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा.
नई दिल्ली: शास्त्री भवन में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) की बैठक में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) राज्य को लेकर दो अहम फैसले किए गए. इस बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (Union Minister Arun Jaitley) ने बताया कि कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन ऑर्डिनेंस 2019 (Jammu-Kashmir Reservation Ordinance) को मंजूरी दे दी है. इसके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में रहने वाले गरीब सवर्णों और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) (International Border) के पास रहने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि साल 2004 से अब तक सिर्फ नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिलता था.
इसके अलावा संविधान (एप्लिकेशन टु जम्मू एंड कश्मीर) संशोधन ऑर्डर 2019 को भी मंजूरी दे दी गई है. अरुण जेटली ने कहा कि इसके तहत जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिल रहे मौजूदा आरक्षण के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा.
कैबिनेट की इस बैठक में जम्मू-कश्मीर को लेकर 1954 के संवैधानिक आदेश और जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट में बदलाव का फैसला किया गया. जिसके अनुसार, गरीब सवर्ण अब शिक्षा और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा पाएंगे. इसके साथ ही सीमा के पास रहने वालों को भी आरक्षण दिया जाएगा. यह भी पढ़ें: सवर्ण आरक्षण बिल को मिली राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी, एक हफ्ते में 10% रिजर्वेशन का मिलने लगेगा फायदा
गौरतलब है कि इस महत्वपूर्ण फैसले के अलावा कैबिनेट की इस बैठक में आगरा मेट्रो और कानपुर मेट्रो में दो-दो कॉरिडोर निर्माण की घोषणा की गई. बताया जा रहा है कि कानपुर मेट्रो का काम 5 साल में पूरा किया जाएगा. इस बैठक में राजकोट में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण और नॉर्थ ईस्ट में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक 4 लेन ब्रिज बनाया बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही दिल्ली के एम्स को अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी के तौर पर विकसित किए जाने का फैसला किया गया और विशाखापट्टनम में रेलवे जोन को भी मंजूरी दी गई है.