UCC in Uttarakhand: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बड़ा अपडेट, 2 फरवरी को ड्राफ्ट सौंपेगी कमेटी, बजट सत्र में बिल पास कराएगी धामी सरकार

उत्तराखंड की धामी सरकार ने प्रदेश में समान नागरिकता संहिता लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस विधानसभा सत्र में बजट के साथ-साथ यूसीसी को भी पेश किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि वह आगामी बजट सत्र के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसौदे को विधानसभा पेश कानून को प्रदेश में लागू कर देंगे.

CM Dhami (Photo Credit: Facebook)

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने प्रदेश में समान नागरिकता संहिता लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस विधानसभा सत्र में बजट के साथ-साथ यूसीसी को भी पेश किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि वह आगामी बजट सत्र के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसौदे को विधानसभा पेश कानून को प्रदेश में लागू कर देंगे. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित समिति अपनी रिपोर्ट आगामी 2 फरवरी को उत्तराखंड की धामी सरकार को सौंप देगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 2 फरवरी को समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनाई गई कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा, "UCC, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में हमारा संकल्प था... देवभूमि की जनता के सामने हमने अपना संकल्प रखा. देवभूमि की जनता ने हमें आशीर्वाद दिया और सरकार में आने का अवसर दिया. हमने ड्राफ्ट बनाने के लिए कमेटी का गठन किया... कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है और उन्होंने हमें बताया है कि 2 तारीख को वे हमें ड्राफ्ट दे देंगे और उनके ड्राफ्ट देने के बाद हम उसका आकलन करेंगे. इसको मंत्रिमंडल में लाया जाएगा और उसके बाद राज्य विधानसभा में यूनिफार्म सिविल कोड एक्ट बनाने की कार्यवाही की जायेगी."

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विजन और चुनाव से पूर्व उत्तराखंड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प एवं उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है.

सभी के लिए एक समान कानून

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है, हर नागरिक के लिए एक समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून. इस कानून के बाद विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे.

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