पणजी: गोवा में खनन क्षेत्र में काम करनेवाले लगभग 2,000 से ज्यादा लोगों ने गुरुवार को पणजी (Panaji) के समीप प्रदर्शन किया और सरकार पर खदानों में काम शुरू करने के मुद्दे को गंभीरता से न लिए जाने का आरोप लगाया. गोवा माइनिंग पीपल्स फ्रंट (Goa Mining People's Front) के समन्वयक पुति गांवकर ने कहा कि राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में गोवा, दमन और दीव खनन पट्टे (खनन पट्टों के रूप में खनन रियायतों और घोषणा की समाप्ति) अधिनियम 1987 में एक संशोधन करने के लिए शपथपत्र दाखिल करना चाहिए, जिससे इसे समुचित तरीके से लागू किया जा सके.
इस संशोधन से स्वत: ही गोवा के लौह अयस्क पट्टे की लीज सीमा 2037 तक बढ़ जाएगी, जो 2007 में समाप्त हो गई थी. गोवा मुख्य सचिव परिमल राय को ज्ञापन सौंपने के बाद गांवकर ने कहा, "स्थिति यहां तक इसलिए पहुंची, क्योंकि सरकार ने खनन बहाल करने के मुद्दे को हल्के में लिया. हम यह भी मांग करते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में मामले का प्रतिनिधित्व करने वाले सहायक सॉलिस्टिर जनरल आत्माराम नादकर्णी को हटाकर किसी वरिष्ठ वकील को इस स्थान पर लाया जाए, क्योंकि वह खनन पट्टों की नवीनीकरण के स्थान पर नीलामी करना चाहते हैं."
यह भी पढ़ें: गोवा: बदला लेने के चक्कर में युवती ने फैलाई होटल में बम की झूठी अफवाह, हुई गिरफ्तार
सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2018 से गोवा के 88 खनन पट्टों से लौह अयस्क की खुदाई और ट्रांस्र्पोटेशन पर रोक लगा दी थी और सरकार को खनन पट्टों को दोबारा जारी करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद से राज्य में इस मामले में ने तूल पकड़ लिया है.