बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: जज ने मांगी सुरक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे एक ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट से पुलिस सुरक्षा प्रदान कराने का अनुरोध किया है. न्यायाधीश उस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें BJP के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम शामिल हैं. विशेष न्यायाधीश ने 27 जुलाई को अदालत को एक पत्र लिखा था, जिसमें पुलिस सुरक्षा सहित पांच मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट और बाबरी मस्जिद (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली. बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid demolition case) मामले की सुनवाई कर रहे एक ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट से पुलिस सुरक्षा प्रदान कराने का अनुरोध किया है. न्यायाधीश उस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम शामिल हैं. विशेष न्यायाधीश ने 27 जुलाई को अदालत को एक पत्र लिखा था, जिसमें पुलिस सुरक्षा सहित पांच मांग की गई है. न्यायाधीश आर. एफ. नरीमन और सूर्यकांत ने इस मांग को उचित मानते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से दो सप्ताह के भीतर इस पर जवाब दाखिल करने को कहा है.

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को विशेष न्यायाधीश के कार्यकाल के विस्तार पर दो सप्ताह के भीतर आदेश देने को भी कहा. ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होना है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में फैसला किया कि मुकदमे की सुनवाई पूरी करने तक इनका कार्यकाल बढ़ा दिया जाए। राज्य सरकार को अभी इसी संबंध में आदेश पारित करना है.यह भी पढ़े-अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई प्रतिदिन की सुनवाई

शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट को मामले में नौ महीने के अंदर फैसला सुनाने का भी आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने 2017 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती और अन्य के खिलाफ साजिश के आरोप को दोबारा उठाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल, 2017 को ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया था कि वह इस मामले की सुनवाई रोजाना करे और दो साल के अंदर सुनवाई समाप्त कर दें.

बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया गया था. इसके आरोप में BJP के नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थी.

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