देश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग में प्रवासी मजदूरों को ऑन द स्पॉट मदद पहुंचा रहे ये ‘कोविड वारियर्स’

दो वक्त की रोटी कमाने के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों, प्रांतों में जाने वाले कई प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में फंसे हुए हैं. इन्हीं प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय द्वारा देश भर में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं. इन नियंत्रण कक्षों से सैकड़ों की संख्‍या में प्रवासी मजदूर संपर्क कर रहे हैं.

लॉकडाउन (Photo Credits: PTI)

दो वक्त की रोटी कमाने के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों, प्रांतों में जाने वाले कई प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में फंसे हुए हैं. इन्हीं प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय द्वारा देश भर में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं. इन नियंत्रण कक्षों से सैकड़ों की संख्‍या में प्रवासी मजदूर संपर्क कर रहे हैं. सम्पर्क करने वाले प्रवासी मजदूरों को सरकार द्वारा हर सम्भव मदद की जा रही है.

सरकार का मानवीय रुख:

केन्द्र सरकार कामगारों और प्रवासी मजदूरों के प्रति काफी संवेदनशील है. सरकार ने नियंत्रण कक्ष से संबंधित समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे पीड़ित कामगारों एवं प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिये मानवीय रुख अपनाएं. साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जरूरतमंदों को समय पर राहत उपलब्ध हो.

ऐसे में, पूरे भारत में श्रम विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ‘कोविड वॉरियर्स’ की भूमिका में नजर आ रहे हैं. दिन-रात मजदूरों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है.

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जानिए, ऐसे मिल रही है मदद:

श्रम मंत्रालय द्वारा स्थापित इन नियंत्रण कक्षों में प्रतिदिन कई प्रवासी मजदूरों के फोन कॉल आ रहे हैं. जो प्रवासी मजदूर जिस भी प्रांत में फंसा है, उसे वहीं मदद दी जा रही है. उत्तर प्रदेश के कानपुर परिक्षेत्र के आरएलसी (सी) ओ.पी. सिंह ने इस सम्बन्ध में विस्तार से बताया. उन्होनें कहा कि, ‘मान लीजिए, यदि कोई हिन्दी भाषी क्षेत्र का मजदूर दक्षिण के किसी भी राज्य में है और लॉकडाउन के कारण उसको भोजन आदि की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. तो, वह सरकार द्वारा जारी फोन नम्बर पर सम्पर्क करता है. उसके फोन कॉल को अटेंड कर मजदूर से यह पूछा जाता है कि वो कहां है. उसके बाद, जिस भी प्रांत में वह होता है, वहां सम्पर्क किया जाता है और उन्हें मजदूर की लोकेशन और स्थिति से अवगत कराया जाता है. जिससे कि, उस जगह का श्रम विभाग उसको जरूरत के अनुसार मदद पहुंचाता है.’

प्रतिदिन आते हैं सैकड़ों फोन:

आरएससी (सी) ओ.पी. सिंह ने बताया कि प्रतिदिन करीब 100 से अधिक प्रवासी मजदूरों के फोन आ रहे हैं. जिनकी मदद की जा रही है. अभी हाल ही में, छत्तीसगढ़ का एक प्रवासी मजदूर, जोकि उत्तर प्रदेश में काम कर रहा था और लॉकडाउन के कारण फंसा हुआ था. उसने फोन किया तो मजदूर से जानकारी लेकर उसको सुविधा मुहैया करायी गई. उन्होनें बताया कि कानपुर परिक्षेत्र में तीन अधिकारी और कई कर्मचारी दिन-रात प्रवासी मजदूरों को सुविधा मुहैया कराने में लगे हुए हैं.

श्रम मंत्रालय द्वारा स्थापित नियंत्रण कक्ष से सम्पर्क करने के लिए प्रवासी मजदूरों के मोबाइल पर नियंत्रण कक्ष के नम्बर भेजे गए हैं. ताकि, वे विषम परिस्थितियों में इन नम्बरों पर सम्पर्क कर सुविधा प्राप्त कर सकें.

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सबसे ज्यादा भोजन की समस्या:

ओ.पी. सिंह ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा समस्या भोजन की हो रही है. उन्होनें कहा कि, ‘जिन भी प्रवासी मजदूरों के फोन आतें हैं, उनमें सबसे ज्यादा मजदूर भोजन मुहैया कराने की बात करते हैं. कहीं-कहीं से पीने के पानी की समस्या भी बताई जाती है. दूसरे क्षेत्रों में फंसे होने और आर्थिक हालत कमजोर होने के कारण भोजन की समस्या का सामना करना पड़ता है. इस पर, हम लोग उनको भोजन मुहैया कराते हैं.

जिलों में भी मिल रही है मदद:

आरएलसी (सी) कानपुर परिक्षेत्र ओ.पी. सिंह ने यह भी बताया कि फोन पर समस्‍या बताने पर मजदूरों को एक इमरजेन्सी नम्बर भी मुहैया कराया जाता है ताकि वह स्वयं किसी भी समय सीधे तौर पर सम्पर्क कर सुविधा प्राप्त कर सकता है.

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