Solar Eclipse 2024:अमेरिका समेत इन देशों पर होगा आज सूर्य ग्रहण का साया! जानें विभिन्न देशों के धर्म और संस्कृति क्या कहती हैं सूर्य ग्रहण के बारे में!

08 अप्रैल 2024 का दिन पश्चिम देशों विशेषकर मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा आदि के लिए कौतूहल भरा हो सकता है, जब ये देश कुछ पलों के लिए अंधेरे में डूब जाएंगे, और इसका कारण होगा सूर्य ग्रहण. खगोल शास्त्रियों के अनुसार 8 अप्रैल 2024 को दुनिया के कुछ देशों पर सूर्य ग्रहण का साया रहेगा.

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08 अप्रैल 2024 का दिन पश्चिम देशों विशेषकर मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा आदि के लिए कौतूहल भरा हो सकता है, जब ये देश कुछ पलों के लिए अंधेरे में डूब जाएंगे, और इसका कारण होगा सूर्य ग्रहण. खगोल शास्त्रियों के अनुसार 8 अप्रैल 2024 को दुनिया के कुछ देशों पर सूर्य ग्रहण का साया रहेगा. हालांकि भारत समेत पूर्वोत्तर के कई देश ग्रहण मुक्त रहेंगे. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य आता है, तो चंद्रमा की ओट में सूर्य के जाने से कुछ पल के लिए पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती. इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में सूर्य ग्रहण को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण प्रचलित है, और ग्रहण से बचने के कुछ कड़े नियम भी प्रतिपादित हैं. भारत के अलावा अन्य देश और धर्म में सूर्य ग्रहण को लेकर क्या मान्यताएं हैं, आइये जानते हैं.

सूर्य ग्रहण और हिंदू धर्म की मान्यताएं

हिंदू धर्म में ग्रहण को अपशकुन माना जाता है. वैदिक मतों में जब राहु सूर्य को निगल लेता है, तभी सूर्य ग्रहण लगता है. प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार देव और दानव के बीच समुद्र-मंथन के दरम्यान अमृत कलश निकलता है. विष्णु जी मोहिनी बनकर देवताओं को अमृत वितरित करते हैं. लेकिन चतुराई दिखाते हुए सर्प दानव स्वर्भानु सूर्य और चंद्रमा के बीच बैठकर अमृत पी लेता है. सूर्य एवं चंद्रमा विष्णु को सचेत करते हैं, तो विष्णु सुदर्शन चक्र से उनका गला काट देते हैं. इससे राक्षस का सिर राहु बनकर अमर हो जाता है और केतु मर जाता है. तब सूर्य-चंद्रमा से नाराज होकर राहु उन्हें निगलने का प्रयास करता है. इससे सूर्य एवं चंद्र ग्रहण होते हैं, हिंदू समुदाय इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रखते हैं. ग्रहण के पश्चात गंगा अथवा अन्य नदियों में स्नान के बाद ही पूजा-अनुष्ठान करते हैं.

मुसलमान ग्रहण को ईश्वर का संकेत मानते हैं

इंटरफेस संगठन अटलांटिक इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष के अनुसार कुछ मुसलमान ग्रहण काल में आध्यात्मिक चिंतन करते हैं. उनका कहना है कि इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद के छोटे बेटे इब्राहिम की मृत्यु सूर्य ग्रहण के दिन हुई थी. उस समय उनके कई अनुयायी इस खगोलीय घटना को मृत्यु और दुःख से जोड़ कर देखते, लेकिन पैगंबर साहब ग्रहण को ईश्वर का एक संकेत मानते है, इसे जीवन या मृत्यु का अग्रदूत नहीं मानते. वह कहते हैं, पैगंबर मुहम्मद अपने अनुयायियों को ग्रहण काल में अल्लाह को याद करने और इबादत करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं. ग्रहण काल खत्म होने के बाद पुनः अल्लाह की इबादत करने की बात करते हैं. यह भी पढ़े :Eid Moon Sighting 2024 in Saudi Arabia: आज हो सकती है Chand Raat, ईद के चांद का हो सकता है दीदार

ईसाई इसे प्रभु यीशु के दूसरे आगमन का संकेत मानते हैं

कुछ ईसाइयों के अनुसार सूर्य ग्रहण ‘अंतिम समय’ का एक संकेत है. बाइबिल के नियमों में उल्लेखित है कि यीशु को जब क्रूस पर लटकाया गया था, तब कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अंधेरा छा गया था, जिसे लोग सूर्य ग्रहण से जोड़कर देखते हैं. मैथ्यू 27 के अनुसार दोपहर तीन बजे सारी धरती पर अंधेरा छा गया था. दोपहर के लगभग तीन बजे प्रभु यीशु ने ऊंचे स्वर में कहा था, ‘एली, एली, लमा सबाक्तनी’ अर्थात ‘ओ गॉड, तुमने मुझे क्यों छोड़ दिया?’ लेकिन बाइबिल के कुछ अंश खगोलीय घटनाओं को ‘अंत’ (मैथ्यू 24.29, जोएल 2.31) से जोड़ते हैं. वे इस तथ्य को भी नजरअंदाज करते हैं कि लगभग हर 18 माह में पृथ्वी पर कहीं ना कहीं एक ग्रहण अवश्य होता है. ये सौर घटनाएं बिना किसी परिणाम के हजारों वर्षों से आसन्न विनाश से जुड़े हैं.

नवाजो के लिए, ग्रहण श्रद्धा का समय है

विंडो रॉक एरिजोना में डाइन शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रबंधक एवलिन बाहे के अनुसार ग्रहण एक महत्वपूर्ण अवसर है. वह इस खगोलीय घटना को सूर्य और पृथ्वी के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के रूप में देखते हैं. बाहे के अनुसार ग्रहण काल में हमें अपने घरों में रहना चाहिए. घरों पर्दे लगा देना चाहिए. इस दौरान खाना अथवा पानी पीने से बचना चाहिए. बाहे के अनुसार ग्रहण काल में किसी भी गतिविधियों में शामिल होने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उसके आध्यात्मिक सद्भाव में बाधा आती है. गौरतलब है कि पिछले ग्रहणों के समय नवाजो राष्ट्र के कार्यालय, पार्क, और स्कूल ब्रह्माण्डीय घटना के सम्मान हेतु बंद कर दिये गये थे. नवाजों के अनुसार कुछ लोग इसे सूर्य और चंद्रमा का मिलन मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे खगोलीय पिंडों के पुनर्जन्म और नवीनीकरण के रूप में देखते हैं.

 

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