बिहार: सेंट माइकल स्कूल कभी पटना का अनाथालय था, आज माना रहा हैं अपना 160वां वर्षगांठ
बिहार के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक राजधानी पटना के दीघा इलाके में स्थित सेंट माइकल स्कूल 160वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस स्कूल की शुरुआत एक अनाथालय के रूप में हुई थी......
पटना: बिहार(Bihar) के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक राजधानी पटना(Patna) के दीघा इलाके में स्थित सेंट माइकल स्कूल(St. Michael's High School) 160वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस स्कूल की शुरुआत एक अनाथालय(Orphanage) के रूप में हुई थी. इस स्कूल ने देश को न केवल कई भारतीय प्रशसनिक सेवा(Indian Administrative Service) और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी दिए, बल्कि इस स्कूल में शिक्षाग्रहण करने वाले कई छात्र खिलाड़ी और समाजसेवी बनकर भी देश का मान बढ़ाया. इस स्कूल के जानकार बताते हैं कि इस स्कूल की स्थापना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई 1857 के एक साल बाद 1858 में विशप हार्टमैन(Bishop Hartman) ने एक अनाथालय के रूप में की थी.
इसके बाद यहां आवासीय स्कूल की स्थापना की गई जहां अनाथ बच्चों की शिक्षा दी जाने लगी. प्रारंभ में छोटे से खपड़ैल कमरे में प्रारंभ इस शिक्षण संस्थान की जिम्मेवारी शुरू में आइरिस क्रिश्चिल ब्रदर्स( Iris Krishcil Brothers) को सौंपा गया था. इसके बाद कलांतर में इस स्कूल का विकास होता चला गया. प्रारंभ में इस स्कूल में कैंब्रिज पाठ्यक्रम(Cambridge Course) की पढ़ाई होती थी, लेकिन आज यहां सीबीएसई पाठ्यक्रम से पढ़ाई की जा रही है. वर्तमान समय में सेंट माइकल के प्राचार्य एडिसन आर्म्सट्रांग(Principal Edison Armstrong) आईएएनएस को बताते हैं, "देश और दुनिया में शिक्षा के लिए प्रसिद्ध फादर मर्फीFather Murphy) के प्राचार्यकाल में इस विद्यालय ने काफी प्रगति की. वर्ष 1968 में इस स्कूल की देखरेख का जिम्मा 'स्कूल मॉस्टर्स ऑफ यूरोप'(School Master of Europe) कहे जाने वाले येशु समाज को मिल गया."
उन्होंने बताया कि स्थापना के काल से इस स्कूल में सिर्फ लड़कों का नामांकन होता था, मगर 1990 में जब इस स्कूल के प्राचार्य के रूप में पी़ टी़ अगेस्टिन(P.T Agustin) ने पदभार संभाला तो उन्होंने महिलाओं के शिक्षा के प्रति भी अपनी रुचि दिखाई और उसी साल इस स्कूल में 'को-एजुकेशन' की शुरुआत हो गई. प्राचार्य आर्म्सट्रांग बताते हैं कि स्कूल प्रशासन 33 प्रतिशत लड़कियों के नामांकन के लिए संकल्पित रहता है. उन्होंने कहा, "इस स्कूल का मकसद शुरू से ही यह रहा है कि पैसे के कारण कोई शिक्षा से वंचित न रह जाए.
आज भी जहां शिक्षा के क्षेत्र में व्यापार का प्रवेश हुआ है, इस स्कूल के फीस की बनावट बहुत कम है." उन्होंने बताया कि आज इस स्कूल में 100 से ज्यादा शिक्षक एलकेजी से 12वीं तक के 4000 छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने में जुटे हैं. उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ज़े पी़ नड्डा ने इसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की, जबकि पूर्व केंद्रीय राजीव प्रताप रूड़ी, सुशील मोदी, क्रिकेट खिलाड़ी सबा करीम, अमियकर दयाल के अलावे आईएएएस अधिकारी चैतन्य प्रसाद, राहुल सिंह भी इस स्कूल के छात्र रह चुके हैं. इस स्कूल के छात्र रहे बिहार के पूर्व मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र कहते हैं कि सेंट माइकल की बुनियाद ही ऐसी रही है कि समय के साथ ही भी उसकी गुणवत्ता आज भी कायम रही है.
कोई भी संस्था आज इतने लंबे समय तक अपनी गुणवत्ता बनाई रखी हो यह बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि यहां से निकलने वाले जितने छात्र आज जिस क्षेत्र में भी हों वहां कुछ अच्छा ही किया है. उल्लेखनीय है कि सेंट माइकल स्कूल के 160 साल पूरे होने पर स्कूल परिसर में रविवार की शाम एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस समारोह में पुराने विद्यार्थियों के अलावा करीब 6000 लोगों के शामिल होने की संभावना है. स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि इस समारोह के मुख्य अतिथि आर्क बिशप होंगे, जबकि भारतीय प्रशासनिक अधिकारी और इस स्कूल के पुराने छात्र चैतन्य प्रसाद और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सब्बा करीम भी विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे.
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पुराने छात्रों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है. इस मौके पर स्कूल के करीब 1000 छात्र-छात्राएं मंच पर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. क्रिकेट खिलाड़ी सबा करीम कहते हैं, "सेंट माइकल का मेरे जीवन में काफी प्रभाव पड़ा है. खेल, पढ़ाई में तारतम्यता बनाए रखने के गुर स्कूल की ही देन है. उन्होंने कहा कि स्कूल से पढ़ाई पूरी कर वर्ष 1985 में निकल गया, लेकिन आज भी जब समय मिलता है, वहां जाने को तैयार रहता हूं."