Tej Pratap Yadav on Pawan Singh: पवन सिंह की बुद्धि और विवेक काम नहीं कर रहा है; तेज प्रताप यादव
बिहार के पूर्व मंत्री और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकआस्था के महापर्व छठ को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के प्रयास की सराहना की. तेज प्रताप यादव ने कहा कि छठ महापर्व को बिहार के लोग श्रद्धा के साथ मनाते हैं.
पटना, 30 सितंबर : बिहार के पूर्व मंत्री और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकआस्था के महापर्व छठ को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के प्रयास की सराहना की. तेज प्रताप यादव ने कहा कि छठ महापर्व को बिहार के लोग श्रद्धा के साथ मनाते हैं. महापर्व को अगर बढ़ावा दिया जा रहा है, तो यह अच्छी बात है. उन्होंने पटना में पत्रकारों से बातचीत में भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह (Pawan Singh) के भाजपा और एनडीए के नेताओं से मिलने को लेकर कहा कि इन लोगों का यही काम है. वे कलाकार हैं.
उन्होंने कहा, "पवन सिंह जो हैं, कभी लखनऊ में हमारे पैर पर गिरे हुए थे और दोबारा चले गए किसी और के पैर पर गिरने के लिए. वह लगातार किसी न किसी के पैर में गिर रहे हैं. उन्हें समझ में अभी नहीं आ रहा है. उनकी बुद्धि और विवेक काम नहीं कर रहा है, क्या करेंगे, क्या नहीं करेंगे, वह जानेंगे." तेज प्रताप ने पवन सिंह को नसीहत देते हुए कहा कि वे कलाकार हैं, उन्हें कलाकारी करनी चाहिए. कहां से वे चुनाव में पड़ रहे हैं. यह भी पढ़ें : Navratri 2025: नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर बारिश होना शुभ या अशुभ? जानें क्या देते हैं संकेत
तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी को लेकर कहा कि लोग काफी पसंद कर रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल के चुनाव चिन्ह 'ब्लैकबोर्ड' की चर्चा करते हुए कहा कि इसके आने से बदलाव हो रहा है. इसके पास सभी लोग शिक्षा के लिए आते हैं. उन्होंने कहा कि हम लोग जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ने का काम कर रहे हैं. हम लोग जमीन पर चलने वाले नेता हैं. उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को लेकर कहा कि महुआ में जनसुराज की गाड़ी से मेरा कार्यकर्ता घायल हो गया. उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे लोगों पर हमला करवाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने प्रशांत किशोर के मंत्रियों पर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर कहा कि दूसरे पर आरोप लगाते-लगाते कहीं वही न फंस जाएं कि इतना पैसा उनके पास कहां से आया.