Teacher Recruitment Scam: ईडी के पूरक आरोपपत्र में बंगाल के शिक्षा सचिव, दो अन्य अधिकारियों के नाम
पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक पदों पर कर्मचारियों की भर्ती से जुड़े करोड़ों रुपए के घोटेले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य के शिक्षा सचिव और दो अन्य अधिकारियों के नाम पूरक आरोपपत्र में शामिल किए हैं. इन पर राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के राजदार होने का आरोप है.
कोलकाता, 5 अप्रैल : पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक पदों पर कर्मचारियों की भर्ती से जुड़े करोड़ों रुपए के घोटेले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य के शिक्षा सचिव और दो अन्य अधिकारियों के नाम पूरक आरोपपत्र में शामिल किए हैं. इन पर राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के राजदार होने का आरोप है. शिक्षा सचिव मनीष जैन के अलावा पूरक आरोपपत्र में जिन दो अधिकारियों के नाम आए हैं उनमें पार्थ चटर्जी के पूर्व कार्यकारी सहायक सुकांता आर्चाया और स्पेशल ड्यूटी पर तैनात अधिकारी (ओएसडी) प्रवीर बंदोपाध्याय हैं. हालांकि पूरक आरोपपत्र में इन तीनों को आरोपी नहीं बनाया गया है.
जैन ने संवाददाताओं से कहा कि उनका नाम पूरक आरोपपत्र में शामिल होने की जानकारी उन्हें मीडिया रिपोर्ट से ही मिली है. इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उन्होंने कहा कि वह सोच भी नहीं सकते कि कोई कैसे उनका नाम इस केस से जोड़ सकता है क्योंकि वह न तो भर्ती प्रक्रिया से जुड़े हुए थे और न ही उन्हें इस संबंध में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री से कभी कोई निर्देश मिला था. जैन भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान पिछले साल नवंबर में कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हो चुके हैं. यह भी पढ़ें : हनुमान जयंती के दौरान कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करें राज्य, केंद्रशासित प्रदेश: गृह मंत्रालय
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उनसे पूछा था कि राज्य के शिक्षा विभाग ने किसके आदेश पर बड़ी भारी संख्या में पद सृजित किए ताकि जो लोग अवैध तरीके से नियुक्त हुए हैं उन्हें नौकरी दी जा सके. इस पर जैन ने बताया था कि इतनी बड़ी संख्या में पदों के सृजन का फैसला राज्य मंत्रिमंडल का था तथा इसके लिए वर्तमान शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने आदेश दिया था. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि वह मंत्रिमंडल की उस बैठक में शामिल नहीं थे जिसमें यह फैसला लिया गया. इसके बाद न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने राज्य मंत्रिमंडल के इतनी भारी संख्या में पदों के सृजन पर भी सवाल उठाया था.