तमिलनाडु आइडल विंग ने 19वीं सदी की चोरी की गई पेंटिंग का पता लगाया
तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा ने भोंसले राजा की 19वीं सदी की सरफोजी पेंटिंग का पता लगाया है, जो कि एक बड़ी सफलता है. पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि, सरस्वती महल लाइब्रेरी से पेंटिंग गायब थी और चोरी के पीछे गिरफ्तार एंटीक तस्कर संजीव कपूर का हाथ था.
चेन्नई, 22 जुलाई : तमिलनाडु पुलिस (Tamil Nadu Police) की मूर्ति शाखा ने भोंसले राजा की 19वीं सदी की सरफोजी पेंटिंग का पता लगाया है, जो कि एक बड़ी सफलता है. पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि, सरस्वती महल लाइब्रेरी से पेंटिंग गायब थी और चोरी के पीछे गिरफ्तार एंटीक तस्कर संजीव कपूर का हाथ था. आइडल विंग के अनुसार, भोंसले राजवंश के राजा सफोर्जी द्वितीय को उनके बेटे शिवाजी द्वितीय के साथ चित्रित करने वाली पेंटिंग, सुभाष कपूर से मैसाचुसेट्स में पीबॉडी एसेक्स संग्रहालय (पीईएम) द्वारा खरीदी गई थी.
मूर्ति शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि, जब पीईएम संग्रहालय को पता चला कि पेंटिंग चोरी हो गई है, तो उन्होंने इसे यूएस होमलैंड सुरक्षा को सौंप दिया. गौरतलब है कि सरस्वती महल पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष ई. राजेंद्रन ने 2017 में पुलिस के पास गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पेंटिंग के गुम होने की तारीख का पता नहीं चल सका. आइडल विंग पुलिस की टीम ने नीलामी केंद्रों सहित कई संग्रहालयों और अन्य प्राचीन खरीद संस्थानों की वेबसाइटों को स्कैन किया और पाया कि पेंटिंग संग्रहालय की वेबसाइट पर थी. यह भी पढ़ें : UP: सहारनपुर में दिखा तेंदुआ, इलाके में फैली दहशत
आइडल विंग के अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि, संजीव कपूर ने धोखे से एक पत्र लिखकर दावा किया था कि कला संग्रहकर्ता स्वर्गीय लियो फिगेल ने उन्हें कलाकृतियां बेची थीं, जिसमें से यह उल्लेख किया गया था कि उन्होंने इसे एक यूरोपीय संग्रह से हासिल किया था. आइडल विंग पुलिस यूनेस्को की कला संधि का उपयोग करके इस कलाकृति को सरस्वती महल पुस्तकालय में वापस लाने की योजना बना रही है.
मूर्ति विंग पुलिस ने हाल ही में सरस्वती महल संग्रहालय से लंदन के किंग जॉर्ज संग्रहालय में चोरी की गई बाइबिल की पहली तमिल पांडुलिपि का पता लगाया था. तमिल में न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद 1715 में डेनिश मिशनरी, बाथोर्लोमियस जीजेनबाल्ग द्वारा मुद्रित किया गया था. तमिलनाडु की स्थानीय पुलिस ने गुमशुदगी के मामले को बंद कर दिया था, जिसे बाद में मूर्ति शाखा ने अपने हाथ में ले लिया, जिसने लंदन में किंग जॉर्ज संग्रहालय में पांडुलिपि का पता लगाया था.