चेन्नई: तमिलनाडु (Tamil Nadu) में एमके स्टालिन (MK Stalin) का जादू चल गया है. द्रविड़ राजनीति के पुरोधा डीएमके (DMK) के गठबंधन ने रविवार सुबह 12:30 बजे तक 234 में से 138 सीटों पर बढ़त बना ली. तमिलनाडु में डीएमके एक बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले उसे 35 से 40 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. Tamil Nadu Assembly Election Results: DMK चीफ एमके स्टालिन ने समर्थकों से की जीत का जश्न न मनाने की अपील
बता दें कि तमिलनाडु में कई दशकों बाद पहली बार करुणानिधि और जयललिता की गैरमौजूदगी में चुनाव हुए. ऐसे में डीएमके के इस प्रदर्शन से स्टालिन इन दो दिग्गजों के बाद राज्य के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में सामने आए. तमिलनाडु के लोगों ने स्टालिन को अपना नेता चुना है. करुणानिधि और जयललिता दोनों ही राजनीति के साथ फिल्मों के भी सितारे रहे थे। ऐसे में स्टालिन को द्रविड़ राजनीति का पहला गैर फिल्मी हीरो माना जा रहा है.
कौन हैं एमके स्टालिन
मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन यानी एमके स्टालिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं, इसलिए तमिलनाडु की राजनीति उनको विरासत में मिली है. बता दें कि करुणानिधि के निधन के बाद उनकी जगह लेना या फिर पार्टी की कमान संभालना, स्टालिन के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. स्टालिन को पार्टी भले ही विरासत में मिली हो लेकिन ये जिम्मेदारी उनके लिए कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि उनकी पार्टी बीते 10 साल से सत्ता में नहीं है.
एमके स्टालिन ने राजनीति में आने से पहले फिल्मों में काम किया है. 1980 के दशक में स्टालिन कुछ तमिल फिल्मों में नजर आए. 1990 के दशक में उन्होंने सन टीवी के टेलीविजन धारावाहिकों में भी अभिनय किया है. स्टालिन ने चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय के नंदनम आर्ट्स कॉलेज से इतिहास में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी की है. करुणानिधि की सरकार में वे ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्री भी रह चुके हैं. स्टालिन का जन्म मद्रास में हुआ था, जिसे अब चेन्नई के रूप में जाना जाता है. फिल्मों के साथ साथ वे डीएमके के लिए प्रचार किया करते थे. फिर वे फिल्मों को अलविदा कहकर राजनीति में ही सक्रिय हो गए. उन्होंने पार्टी के यूथ विंग को मजबूत करने का काम किया.
राजनीति की बात करे तो स्टालिन का ये सफर इतना भी आसान नहीं रहा है, राजनीति में ये मुकाम हासिल करने के लिए उन्हें अपने ही सौतेले भाई एमके अलागिरी से मुकाबला करना पड़ा था. तमिलनाडु में पिछले कई सालों तक हर पांच साल में सरकार बदल जाती थी. लेकिन पिछले चुनाव में ऐसा नहीं हुआ था और एआईडीएमके को लगातार 10 साल सत्ता में बैठने को मिला.
स्टालिन का राजनीतिक करियर
स्टालिन का राजनीतिक करियर 14 वर्ष की आयु में 1967 के चुनावों में प्रचार के साथ शुरू किया था. 1973 में स्टालिन को द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) की आम समिति में निर्वाचित किया गया था. स्टालिन 1989 के बाद से तमिलनाडु विधानसभा के लिए चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से चार बार चुने गए हैं. स्टालिन 1996 में इस शहर के पहले सीधे तौर पर निर्वाचित मेयर बने थे. 2001 में स्टालिन एक बार फिर से मेयर चुने गए, लेकिन उनके ऊपर फ्लाईओवर घोटाले का आरोप लगने के बाद उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 2011 के विधानसभा चुनावों से पहले स्टालिन थाउजेण्ड लाइट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे. अब स्टालिन तमिलनाडु की गद्दी संभालेंगे.