पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: ममता बनर्जी को SC से बड़ी राहत, राज्य में दोबारा पंचायत चुनाव नहीं
भारतीय जनता पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी दोनों पार्टियों ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों ने उनके सदस्यों के नामांकन पत्र भरने के दौरान व्यवधान उत्पन्न किया. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि नामांकन पत्र भरने के लिए ई-फाइलिंग का कोई प्रावधान नहीं है
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में लगभग 21,000 निर्विरोध सीटों पर नतीजों की अधिसूचना जारी करने की मंजूरी दे दी और कहा कि कानून में ई-नामांकन का कोई प्रावधान नहीं है. 21,000 निर्विरोध सीटों में से, 20,000 सीट सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जीती थी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने हालांकि निर्विरोध सीटों से अपना नामांकन नहीं भर सके उम्मीदवारों को 30 दिन के भीतर चुनाव न्यायाधिकरण जाने की मंजूरी दी है.
भारतीय जनता पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी दोनों पार्टियों ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों ने उनके सदस्यों के नामांकन पत्र भरने के दौरान व्यवधान उत्पन्न किया. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि नामांकन पत्र भरने के लिए ई-फाइलिंग का कोई प्रावधान नहीं है और चुनाव से संबंधित मामलों को चुनौती कानून की प्रक्रिया के दायरे में दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र भरने में व्यवधान उत्पन्न करना एक गंभीर मामला है.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग की याचिका पर सुनाया है. आयोग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 8 मई को सुनाए गए उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें ई-नामांकन और जन प्रतिनिधि अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट के प्रावधानों की व्याख्या को अनुमति दी गई थी. शीर्ष अदालत ने तीन जुलाई को कहा था कि वह इस बात की जांच करेंगे कि क्या उच्च न्यायालय संविधान की धारा 226 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर ई-नामांकन की अनुमति दे सकते हैं.