नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बीच शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले में आज भी कोई फैसला नहीं हो सकता. SC 1 अगस्त को मामले में अगली सुनवाई करेगा.
शिवसेना के उद्धव ठाकरे खेमे के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर इस मामले को स्वीकार किया जा सकता है तो इस देश की हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है. 10वीं अनुसूची के तहत बार के बावजूद राज्य सरकारों को गिराया जा सकता है तो लोकतंत्र खतरे में है.
शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने ठाकरे खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और अगले सप्ताह सुनवाई स्थगित करने को कहा. सीजेआई एनवी रमना का कहना है कि कुछ मुद्दों पर, मुझे दृढ़ता से लगता है, एक बड़ी बेंच की आवश्यकता हो सकती है. मामले की सुनवाई बड़ी बेंच कर सकती है. मामले में अगली सुनवाई अब एक अगस्त को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को हलफनामा दायर करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे ग्रुप और उद्धव ठाकरे ग्रुप के खिलाफ करवाई नहीं होगी. शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे के लिए पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने कहा कि अयोग्यता के नियम शिंदे मामले में लागू नही होता क्योंकि अगर किसी पार्टी में दो धड़े होते हैं और जिसके पास ज्यादा संख्या होती है, वो कहता है कि मैं अब लीडर हूं और स्पीकर मानता है तो ये अयोग्यता में कैसे आएगा.
जबकि कपिल सिब्बल ने कहा कि 40 लोग ये नहीं कह सकते की वो पार्टी हैं. सिब्बल ने कहा कि शिंदे ये तय नही कर सकते की वो पार्टी के नेता हैं. वो चुने हुए नेता को हटा नहीं सकते.
बता दें कि शिवसेना के 55 में से 40 विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं, जो खुद को बाल ठाकरे के ''असली'' शिवसैनिक बताते हैं.