सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से दी राहत, जांच में करना होगा सहयोग

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके खिलाफ महाराष्ट्र में चल रहे मामलों में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी और उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "आश्चर्य है कि एक आम आदमी का क्या होगा. मामला अजीब और अनोखा हो गया है.पहले गृह मंत्री और फिर पुलिस आयुक्त."

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Photo Credit ANI)

नई दिल्ली, 22 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Parambir Singh) को उनके खिलाफ महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहे मामलों में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी और उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "आश्चर्य है कि एक आम आदमी का क्या होगा. मामला अजीब और अनोखा हो गया है.पहले गृह मंत्री और फिर पुलिस आयुक्त." मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह के खिलाफ तीसरा गैर जमानती वारंट जारी

सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने शीर्ष अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल देश में ही है और जिस क्षण उनका मुवक्किल महाराष्ट्र में आएगा, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है. पीठ ने वकील से कहा, "अगर आप कहते हैं कि आपके मुवक्किल को मुंबई पुलिस में जान का खतरा है, तो अन्य लोगों के लिए क्या आशा है." बाली ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सटोरियों, जबरन वसूली करने वालों आदि द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिनके खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी.

बाली ने शीर्ष अदालत से सिंह को सीबीआई अदालत के किसी भी अधिकारी के समक्ष पेश होने की अनुमति देने का आग्रह किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका मुवक्किल भारत में है, लेकिन उन्हें आशंका है कि उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष प्रार्थना की थी कि मामले को सीबीआई को निर्देशित किया जाए.विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच के लिए एकमात्र सवाल यह है कि सीबीआई पहले से ही इस मामले को देख रही है और क्या अन्य पहलुओं को सीबीआई को सौंपा जा सकता है.

पीठ ने कहा कि सीबीआई और राज्य सरकार के रुख के बारे में पता नहीं है, क्योंकि याचिका पर पहले ही फैसला कर लिया गया था. सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाता है, जिस पर 6 दिसंबर तक जवाब दाखिल करना होगा. अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल होगा, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

18 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने सिंह के वकील से यह खुलासा करने को कहा था कि वह दुनिया के किस हिस्से या देश में हैं और इन विवरणों के बिना, अदालत सुरक्षा की मांग करने वाली उनकी याचिका पर विचार नहीं करेगी. शीर्ष अदालत ने सिंह का प्रतिनिधित्व करते हुए बाली से कहा था, "आप (सिंह) कहां हैं.. देश के भीतर या बाहर. सबसे पहले, मैं जानना चाहता हूं कि आप कहां हैं।" बाली ने उत्तर दिया कि उनके मुवक्किल के ठिकाने के बारे में काउंसल-ऑन-रिकॉर्ड को पता चल जाएगा.

न्यायमूर्ति कौल ने काउंसल-ऑन रिकॉर्ड से जवाब मांगा, जिन्होंने जवाब दिया कि उन्हें सिंह के वर्तमान स्थान के बारे में जानकारी नहीं है. इस पर पीठ ने कहा था कि इस तरह के कार्यों से सिस्टम में विश्वास की कमी होती है. अदालत ने कहा था, "आप जांच में शामिल नहीं हुए हैं , कोई नहीं जानता आप कहां हो." शीर्ष अदालत ने सिंह के वकील को सोमवार को उनके ठिकाने का खुलासा करने का निर्देश दिया था.

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