लखनऊ, 22 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के रामपुर की स्वार विधानसभा में उपचुनाव हो रहा है. सपा के दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां के गढ़ को ढहाने के लिए भाजपा पूरी तैयारी में है. इसीलिए उन्होंने इस बार भी सीट अपने गठबंधन के साथी अपना दल (एस) को दी है. भाजपा की कोशिश है कि उसके धुर विरोधी रहे आजम के किले को जीतकर उनका वर्चस्व खत्म किया जाए। इसके लिए इस सीट पर मुकाबला आर-पार का होगा. यह भी पढ़ें: CBI Notice To Satyapal Malik: '300 करोड़ रुपये की रिश्वत...' सत्यपाल मलिक से CBI करेगी पुछताछ, कांग्रेस बोली- ये तो होना ही था
स्वार सीट आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम की विधान सभा सदस्यता रद होने से रिक्त हुई है. जानकारों के मुताबिक रामपुर की संसदीय और विधान सभा सीटें जीतकर भाजपा सपा के इस गढ़ में एक और उलटफेर कर जिले की सियासत में अपना दबदबा बढ़ाने की फिराक में है.
रामपुर के राजनीतिक जानकार कहते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला आजम ने स्वार विधानसभा सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा. यह सीट भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दस (एस) के हिस्से में गई थी। अपना दल (एस) की ओर से पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां के पुत्र हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां को प्रत्याशी बनाया था। इस बार भी यह सीट भाजपा ने अपने गठबंधन के साथी अपना दल एस को दी है. भाजपा-अपना दल (एस) गठबंधन ने शफीक अहमद अंसारी पर दांव लगाया है. शफीक अंसारी स्वार नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
उधर समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य अनुराधा चौहान को अपना प्रत्याशी घोषित किया. स्वार सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. साथ ही इस उम्मीदवारी के बाद अब अनुराधा पर आजम खां के आखिरी सियासी किले को बचाने की जिम्मेदारी है. जानकारों की मानें तो इस बार भाजपा गठबंधन ने शफीक अहमद अंसारी को उतारकर पसमांदा मुस्लिम कार्ड खेला है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी भाजपा इस समाज को अपने नजदीक लाने के प्रयास में है. माना जा रहा था कि सपा इस बार भी यहां से कोई मुस्लिम प्रत्याशी देगी और तब चुनावी लड़ाई भाजपा के पक्ष में रहने की ज्यादा संभावना हो सकती थी. लेकिन उसने हिंदू कार्ड खेलकर मुकाबला चुनौती पूर्ण बना दिया। रामपुर में पिछले दो उपचुनावों में मिली सफलता से उत्साहित भाजपा स्वार सीट को जीतकर जिले में उपचुनावों की हैट्रिक पूरी करना चाहेगी.
अब्दुल्ला आजम को साल 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। लेकिन दोनों ही बार उनकी विधायकी चली गई। सबसे पहले दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनकी विधायकी चली गई थी. इसके बाद 2023 में अब्दुल्ला को मुरादाबाद कोर्ट ने 15 साल पुराने एक मामले में 2 साल की सजा सुनाई। इसके बाद दूसरी बार उनकी विधायकी चली गई.
सपा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल का कहना है कि हमने स्वार में जमीनी प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. यहां बहुत सारा विकास सपा की सरकार में हो गया है. विकास में आजम साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा. अब जो थोड़े बहुत अधूरे काम बचे वह अनुराधा चौहान जीत कर पूरा कर देंगी. इस विधानसभा में हमारी पूरी टीम मजबूती से लगी हैं. यहां प्रचार के लिए सपा मुखिया अखिलेश, आजम और स्वामी प्रसाद भी आएंगे. परिणाम हमारे पक्ष में होंगे.
भाजपा के जिला अध्यक्ष अजय गुप्ता कहते हैं कि स्वार विधानसभा में एनडीए का उम्मीदवार है. यहां पर अपना दल (एस) का प्रत्याशी मैदान में हैं. छोटे से बड़े नेता पूरी ताकत से यह सीट जीतने के प्रयास में लग गए हैं. अपना दल के प्रदेश प्रवक्ता राजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि हमारा गठबंधन का उम्मीदवार बहुत मजबूत है. दोनो दल के साथ मिलने सफलता निश्चित मिलेगी.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विपिन शर्मा कहते हैं कि सपा के हिंदू प्रत्याशी उतारने से चुनाव रोचक हो गया है. यह जिला पंचायत सदस्य भी है. भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी शफीक अंसारी हैं. उनकी पत्नी भी नगर निकाय चुनाव लड़ रही हैं. सपा ने आखिरी समय मे चौहान को उतार कर एक बड़ी चाल चली है. भाजपा का जो कोर वोटर है, वह बसपा की तरह अपने कमल निशान के लिए वोट करता है. ऐसे में गठबंधन को अपने वोटरों को समझाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. दोनो उम्मीदवार लोकल और मजबूत है। मुकाबला बहुत कड़ा होगा.