अक्टूबर में ही पहाड़ों पर बर्फ की चादर, क्या इस बार पड़ेगी अधिक ठंड? जानें क्या कह रहे हैं मौसम वैज्ञानिक
Snowfall in Kashmir | PTI

उत्तर भारत में इस साल सर्दी ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है. अक्टूबर की शुरुआत में ही हिमालय की ऊंची चोटियां बर्फ से ढक चुकी हैं. दिल्ली और पूरे गंगा के मैदानी इलाकों में बारिश और ठंडी हवाओं ने मौसम को सर्द बना दिया है. इस बार प्री-विंटर (पूर्व सर्दी) सीजन ठंडा और नम नजर आ रहा है. ऐसे में हर किसी के पास यही सवाल है क्या इस बार सर्दी कुछ ज्यादा पड़ेगी? भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और US Climate Prediction Centre ने अनुमान लगाया है कि उत्तर भारत में इस बार ठंड औसत अधिक पड़ सकती है. हालांकि कुछ मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ठंड के सही अनुमान के लिए अभी थोड़ा समय और लगेगा.

अक्टूबर में ही बर्फबारी

जम्मू कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अक्टूबर के शुरुआत में ही बर्फबारी हो गई है. गुलमर्ग ने 2 अक्टूबर को इस साल की पहली बर्फबारी दर्ज की, जो आमतौर पर अक्टूबर के अंत में होती है. सिंथन टॉप, रोहतांग पास और धौलाधार पर्वत श्रृंखला में भी हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई. पहाड़ों में कोहरा, बर्फीली हवाएं और जमी हुई चोटियां इस मौसम को और रोमांचक बना रही हैं. पर्यटक इन नजारों से खुश हैं, जबकि स्थानीय लोगों को चिंता सता रही है कि क्या इस बार ठंड जल्दी और अधिक पड़ेगी.

Skymet Weather के अनुसार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में 8 अक्टूबर तक हल्की से मध्यम बर्फबारी जारी रहने की संभावना है. धर्मशाला, मैक्लोडगंज, डलहौजी और कांगड़ा जैसे इलाकों में तापमान सिंगल डिजिट में पहुंच चुका है.

ला नीना से बढ़ेगी ठंड?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार ला नीना के प्रभाव से सर्दियां सामान्य से ठंडी रह सकती हैं. ला नीना के दौरान प्रशांत महासागर का तापमान गिरता है, जिससे वैश्विक मौसम पैटर्न बदलते हैं और भारत में ठंडी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता बढ़ जाती है. National Oceanic and Atmospheric Administration (NOAA) ने भी कहा है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना बनने की 71% संभावना है.

ठंडी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ बढ़ा सकते हैं सर्दी

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना से उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकते हैं, जिससे पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं बढ़ सकती हैं. हालांकि लगातार ठंडी लहर चलने की संभावना कम है, लेकिन तापमान में गिरावट साफ दिखाई देगी.

जलवायु परिवर्तन बना अनिश्चितता का कारण

हालांकि ला नीना ठंड बढ़ाने का संकेत देता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन इसका असर कम कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार अब प्राकृतिक मौसम पैटर्न इंसानी गतिविधियों के कारण बदलते माहौल में घटित हो रहे हैं, जिससे ठंड का पैटर्न पहले जैसा नहीं रहता.

71% संभावना औसत से अधिक पड़ेगी ठंड

IMD के अनुसार इस बार भारत में औसत से ठंडी सर्दी पड़ने की 71% संभावना है. हालांकि केवल ला नीना ही इसका निर्धारण नहीं करता. आर्कटिक से आने वाली ठंडी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ के उतार-चढ़ाव भी ठंड की तीव्रता को प्रभावित करेंगे.