Sewer Infection: सीवर से संक्रमण का है कितना है खतरा, जानें स्वास्थ्‍य विशेषज्ञों से

कोरोना वायरस के फैलने की वजहों पर अब भी शोध जारी है.कोरिया में सीवर से वयरस के फैलने की खबर आने की बात सामने आयी तो लोग चकित रह गए. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. मोहसिन वली ने केवल सीवर से नहीं बल्कि अस्‍पतालों के एग्‍जॉस्‍ट फैन आदि से भी वायरस के फैलने की आशंका व्‍यक्‍त की. डॉ. वली ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि अस्पताल से निकलने वाली हवा, वार्ड के एक्जास्ट फैन से निकले वाली हवा, होटल के एक्जॉस्ट से निकले वाली हवा, सीवर से निकले वाला पानी और गैस से भी संक्रमण का खतरा हो सकता है.

संक्रमण (Photo Credits: Facebook)
कोरोना वायरस (Coronavirus)  के फैलने की वजहों पर अब भी शोध जारी है.कोरिया में सीवर से वयरस के फैलने की खबर आने की बात सामने आयी तो लोग चकित रह गए.  दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. मोहसिन वली (Dr.  Mohsin Wali) ने केवल सीवर से नहीं बल्कि अस्‍पतालों के एग्‍जॉस्‍ट फैन आदि से भी वायरस के फैलने की आशंका व्‍यक्‍त की.  डॉ. वली ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि अस्पताल से निकलने वाली हवा, वार्ड के एक्जास्ट फैन से निकले वाली हवा, होटल के एक्जॉस्ट से निकले वाली हवा, सीवर से निकले वाला पानी और गैस से भी संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिये घर में आइसोलेट होने वाले वालों को अलग टॉयलेट प्रयोग करने के लिये कहते हैं। सीवर आदि से संक्रमण का केस कोरिया में आया था.
ज्यादातर मरीज में सिर्फ थकान के लक्षण
देश में बढ़ते केस के साथ नये लक्षण के बारे में भी डॉ. वली ने जानकारी देते हुए कहा कि टेस्टिंग के बाद हम केस को ज्यादा पकड़ सकते हैं और उन्हें आइसोलेट कर सकते हैं.  डॉक्टरों को ध्यान रखना है कि आज कल कई मरीज ऐसे भी आ रहे हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं आ रहे हैं, उन्हें सिर्फ थकान हो रही है। इसलिए एंटीजन टेस्ट से उन्हें नेगेटिव न मानें. अगर व्यक्ति की सोसाइटी , ऑफिस, आदि में कोई पॉजिटिव केस है तो आरटीपीसीआर जांच जरूर करें. यह भी पढ़ेअरुणाचल प्रदेश में 61 सुरक्षाकर्मियों सहित कोरोना वायरस के 96 नए मरीज आए सामने, कुल संक्रमितों की संख्या हुई 2,327
माउथवॉश से बेहतर नेती
माउथवॉश से कोरोना के संक्रमण को टाला जा सकता है या नहीं, इस बारे में उन्‍होंने बताया कि माउथवॉश की तुलना में जल नेति ज्यादा प्रभावी होती है. ये हमारी प्राचीन पद्धति है. इसमें सिर को बायीं या दायीं ओर झुका कर, नाक के एक नोस्‍ट्र‍िल से पानी डालते हैं और पानी दूसरे नोस्ट्रिल से बाहर निकलता है. माउथवॉश से गले के बैक्टीरिया मर जाते हैं, लेकिन वायरस मारता है या नहीं अभी नहीं कह सकते. इसमें एल्कोहल होता है, जिसकी वजह से कई लोग इसका प्रयोग नहीं करते। ऐसे लोग तुलसी के पत्ते के पानी में उबाल कर, उससे गार्गल कर सकते हैं.
कपड़े धोने के साबुन से धो सकते हैं हाथ
डॉ. वली ने कहा कि किसी भी साबुन से हाथ धो सकते हैं, बस साबुन में झाग आना जरूरी है, तभी वायरस की झिल्ली फटती है. ध्‍यान रहे कपड़े धोने वाला साबुन काफी हार्ड होता है, इससे हाथ की स्किन पर एलर्जी हो सकती है। इसलिए सभी से साबुन या लिक्विड सोप से हाथ धोने को कहा जता है. जहां तक सेनिटाइजर की बात है तो उसके पीछे न भागें। कई लोग महंगे-महंगे सेनिटाइजर का प्रयोग करते हैं, जबकि साबुन पानी ही सर्वोत्तम है.
एक दिन में 8 घंटे तक एक मास्क का प्रयोग
सर्जिकल मास्क को 8 घंटे तक इस्तेमाल कर सकते हैं. प्रयोग के बाद उसे फेंक देना चाहिये। एन95 मास्क सात दिन तक प्रयोग किया जा सकता है। यह मास्क भी एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा देर तक नहीं लगाना चाहिये। घर का बना कॉटन के कपड़े का मास्क धोकर जितना चाहे उतनी बार प्रयोग कर सकते हैं। ध्‍यान रहे मास्क कोई भी हो, जब उतारें तब उसके बाहरी हिस्से के संपर्क में मुंह, नाक नहीं आना चाहिये.
बिना मास्क लगाये बात करते हैं कितना सुरक्षित
किसी से बात करते वक्त, हंसते वक्त, बोलते वक्त, छींकते वक्त, खांसते वक्त, तेज सांस लेते वक्त भी वायरस का संक्रमण हो सकता है। इसलिए मास्क को किसी से भी मिलते वक्त नीचे नहीं उतारना है.इसलिये वायरस से बचने के लिए मास्क बहुत जरूरी है और उसके बाद हैंड हाइजिन रखना है.
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