Section 377: समलैंगिक संबंध अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

सुप्रीम कोर्ट ने आज भारतीय दंड संहिता की धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं हैं. हालांकि, ने जानवरों के साथ अप्राकृतिक सेक्स को मंजूरी नहीं दी हैं. अदालत शीर्ष अदालत ने इस मामले में जुलाई में सुनवाई पूरी कर ली थी और अपने फैसले को सुरक्षित रखा था. यह धारा समलैंगिता को अपराध मानती है. अदालत ने सभी पक्षों से अपना लिखित प्रतिवेदन शुक्रवार तक सौंपने के लिए कहा. समलैंगिकता को अपराध न मानने की मांग करने वाली याचिकाओं का विरोध कर रहे पक्षकारों ने अदालत से आग्रह किया कि धारा 377 का भविष्य संसद पर छोड़ दिया जाए.

पक्षकारों ने कहा कि समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का अन्य कानूनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, जिसमें पर्सनल लॉ और एड्स जैसे खतरनाक बीमारियों का फैलाव शामिल है. न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन एपोस्टिक अलायंस ऑफ चर्चेज की तरफ से पेश वकील मनोज जॉर्ज से यह कहते हुए असहमति जताई थी कि इसका कोई व्यापक असर नहीं होगा, क्योंकि अन्य कानूनों में इस तरह के सभी संदर्भो को मिटा दिया जाएगा.

यह भी पढ़े: दुनिया के इन देशों में सेम सैक्स मैरिज को मिल चुकी है कानूनी मंजूरी

इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि यौन संबंधों के जरिए फैलने वाली बीमारियां असुरक्षित यौन संबंधों के कारण होती हैं. उन्होंने कहा कि कोई ग्रामीण महिला अपने पति के जरिए बीमारी से संक्रमित हो सकती है, यदि वह प्रवासी श्रमिक है.