SC-ST कानून: संशोधन के खिलाफ 30 अप्रैल से सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह 30 अप्रैल को अनुसूचित जाति / जनजाति अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ-साथ इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करेगा.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह 30 अप्रैल को अनुसूचित जाति / जनजाति अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ-साथ इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करेगा.
शीर्ष अदालत केंद्र की उस याचिका पर विचार कर रही है जिसमें न्यायालय के पिछले साल के 20 मार्च के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है. सरकारी सेवकों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ कानून के धड़ल्ले से दुरुपयोग का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने इस कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को कथित तौर पर हल्का कर दिया था.
बाद में, नौ अगस्त को संसद ने एससी-एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के लिये तय किये गए कुछ मानकों से संबंधित शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए एक विधेयक पारित किया.
संशोधन में अदालत के आदेश के बावजूद एससी/ एसटी के खिलाफ अत्याचार के आरोपी किसी व्यक्ति के लिए अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.
केंद्र की समीक्षा याचिका के अलावा, कानून में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं.
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए मामला आया. पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर 30 अप्रैल को सुनवाई होगी.
शीर्ष अदालत ने पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2018 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं देने के प्रावधान को बहाल कर दिया गया.
गत 19 फरवरी को न्यायालय ने कहा था कि वह अधिनियम में संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं के साथ ही केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा क्योंकि इस मामले पर सुनवाई कर रही पुरानी पीठ बदल गई है.