मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान में फर्जी वोटर लिस्‍ट को लेकर कांग्रेस नेता कमलनाथ- सचिन पायलट की याचिका SC ने की खारिज

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें चुनाव वाले राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में मतदाता सूची का मसौदा टेक्स्ट फॉर्मेट में उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें चुनाव वाले राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में मतदाता सूची का मसौदा टेक्स्ट फॉर्मेट में उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर और राजस्थान में 7 दिसंबर को विधानसभा चुनाव होना है. न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा, ‘‘हम इन याचिकाओं को खारिज करते हैं.’’

इन नेताओं ने अपनी याचिका में मतदाता सूची में कथित तौर पर मतदाताओं का नाम दो बार शामिल होने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए शिकायतों का उचित समाधान करने की मांग की थी. उच्चतम न्यायालय ने 8 अक्टूबर को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कमलनाथ ने अपनी याचिका में पीडीएफ फॉर्मेट के बजाय ‘‘नियमों के मुताबिक टेक्स्ट फॉर्मेट’’ में मतदाता सूची प्रकाशित करने और अंतिम प्रकाशन से पूर्व सभी शिकायतों पर त्वरित निर्णय लेने के लिए निर्देश जारी किए जाने चाहिए. यह भी पढ़ें- मुंबई में अब तक की सबसे बड़ी चोरी, साइबर लुटेरों ने बैंक ऑफ मॉरिशस अकाउंट में की सेंधमारी, उड़ाए करोड़ों रूपये

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने याचिका में सभी विधानसभा क्षेत्रों में बेतरतीब तरीके से वीवीपीएटी पर्चियों का 10 प्रतिशत मतदान केन्द्रों पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पड़ने वाले मतों के साथ मिलान करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए.

18 सितंबर को चुनाव आयोग ने अपने परिपत्र में मध्य प्रदेश में मतदाताओं की तस्वीर के बिना पीडीएफ फॉर्मेट में मतदाता सूची मुहैया कराए जाने को सही ठहराया था और कहा था कि यह मतदाताओं के डेटा में हेरफेर को रोकने के लिए किया गया था.

याचिकाओं में नेताओं ने आरोप लगाया था कि एक सर्वे के मुताबिक मध्य प्रदेश में 60 लाख से अधिक फर्जी मतदाता हैं. इसी तरह राजस्थान में 41 लाख से अधिक मतदाता फर्जी हैं.

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