'हर जगह मंदिर या शिवलिंग खोजने की जरूरत नहीं', जानें काशी-मथुरा विवाद पर क्या बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ अब कोई नया मंदिर आंदोलन शुरू नहीं करेगा और हर जगह शिवलिंग खोजने के बजाय काशी-मथुरा जैसे तीन मुख्य स्थलों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने RSS और BJP के बीच किसी भी मनमुटाव से इनकार करते हुए कहा कि संघ सरकार के फैसलों में दखल नहीं देता है. इसके साथ ही उन्होंने जाति व्यवस्था को पुराना बताते हुए खत्म करने और संवैधानिक आरक्षण का समर्थन करने की भी बात कही.

मोहन भागवत ने कहा कि संघ अब कोई नया मंदिर आंदोलन शुरू नहीं करेगा (Photo Credits : X)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी और संघ की एक आधुनिक छवि पेश की. उन्होंने साफ़ किया कि काशी और मथुरा के लिए अयोध्या जैसा कोई नया आंदोलन संघ शुरू नहीं करेगा. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हर जगह मंदिर या शिवलिंग खोजने की कोई ज़रूरत नहीं है. विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में सवाल-जवाब के दौरान मोहन भागवत ने कई विषयों पर खुलकर बात की.

जब उनसे काशी और मथुरा को लेकर चल रही मांगों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "RSS सिर्फ राम मंदिर आंदोलन में सीधे तौर पर शामिल हुआ और उसे अंजाम तक पहुंचाया. अब हम किसी नए आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेंगे."

हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि काशी, मथुरा और अयोध्या हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा, "इन तीन जगहों के अलावा, हर जगह मंदिर या शिवलिंग खोजने की ज़रूरत नहीं है. अगर इन तीन जगहों का मामला सुलझ जाता है, तो यह समाज में सद्भाव के लिए एक बड़ा कदम होगा." उन्होंने यह भी कहा कि अगर हिंदू समाज अनुरोध करता है, तो संघ के स्वयंसेवक उनके आंदोलनों में शामिल हो सकते हैं.

RSS और BJP के रिश्ते पर स्पष्टता

मोहन भागवत ने उन अटकलों को खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि RSS और BJP के बीच कोई मनमुटाव है. उन्होंने कहा, "यह सोचना पूरी तरह से गलत है कि RSS ही BJP के लिए सब कुछ तय करता है. संघ जानता है कि 'शाखा' कैसे चलानी है और बीजेपी जानती है कि सरकार कैसे चलानी है. हम एक-दूसरे को सिर्फ सुझाव देते हैं."

रिटायरमेंट की उम्र पर क्या बोले?

हाल ही में यह चर्चा थी कि भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खुद के 75 साल की उम्र में रिटायर होने का सुझाव दिया है. इस पर उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे या किसी और को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए."

समाज और देश से जुड़े अन्य मुद्दे

कुल मिलाकर, मोहन भागवत ने अपने इस संबोधन से RSS की भविष्य की दिशा और विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके रुख को स्पष्ट करने की कोशिश की.

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