Republic Day 2019: इस वजह से करना चाहिए राष्ट्रगान का सम्मान

राष्ट्रगान के संदर्भ में “प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971” के अनुसार राष्ट्रगान का अपमान करने पर तीन साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है. यही नहीं राष्ट्रगान गाने से रोकने अथवा बाधा पहुंचाने पर भी तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Pixabay)

भारत में राष्ट्रगान किसी न किसी वजह से हमेशा सुर्खियों में रहा है. विशेषकर सिनेमा घरों में कभी इसके प्रदर्शन को बंद करने का आदेश दिया गया तो कभी इसे बजाना अनिवार्य कर दिया जाता है. सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाने और उसका खड़े होकर सम्मान देने की परंपरा की शुरुआत 1962 में हुई, जब भारत और चीन के बीच युद्ध शुरु हुआ था. जानकार बताते हैं कि युद्ध के दौरान कई राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत फिल्में रिलीज हुईं थी. राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत फिल्मों को मिल रही सफलता से प्रेरित होकर सिनेमा घर के मालिकों ने स्वयं फैसला किया कि फिल्म दिखाते समय राष्ट्रगाना बजाया जायेगा और दर्शकों से अनुरोध किया जायेगा कि राष्ट्रगान जारी रहने तक वे अपनी जगह पर शांत मुद्रा में खड़े हो जायें.

कुछ वर्षों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चला. लेकिन शीघ्र ही देखा गया कि शो खत्म होते ही राष्ट्रगान बजने के बावजूद दर्शक थियेटरों से बाहर निकलने लगते हैं. इस तरह जाने अनजाने इसे राष्ट्र का अपमान माना गया. अंततः केंद्र सरकार के आदेश पर सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाने पर रोक लगा दिया.

सन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म शुरु होने से पूर्व राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य करने का आदेश दिया. लेकिन महज 11 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने ही आदेश बदलते हुए राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता समाप्त करने का आदेश देते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार तय करे कि राष्ट्रगान के संदर्भ में क्या नियम बनाये जाने जरूरी है.

राष्ट्रगान के अपमान पर है सजा का प्रावधान

राष्ट्रगान के संदर्भ में “प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971” के अनुसार राष्ट्रगान का अपमान करने पर तीन साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है. यही नहीं राष्ट्रगान गाने से रोकने अथवा बाधा पहुंचाने पर भी तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. राष्ट्रगान के बजाने या न बजाने के भी नियम

राष्ट्रगान के नियम

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