RBI Repo Rate: आम जनता पर नहीं बढ़ेगा EMI का बोझ, रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फेस्टिव सीजन से पहले आम जनता को बड़ी राहत दी है. केंद्रीय बैंक ने इस बार भी लोन लेने वाले ग्राहकों को बड़ी राहत दी है.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फेस्टिव सीजन से पहले आम जनता को बड़ी राहत दी है. RBI ने तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC Meeting) में लिए गए फैसलों का ऐलान कर दिया है. रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. देश में महंगाई दर आरबीआी के तय दायरे से ऊपर होने के बावजूद RBI ने आम जनता को EMI के बोझ से राहत दी है. रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद लोन की किश्त यानी EMI में कोई बदलाव नहीं होगा. ये लगातार चौथी बार है जबकि रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया गया है. आरबीआई ने अगस्त, जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था. 2000 Rs के नोट जमा करने की डेडलाइन बढ़ी, अब 7 अक्टूबर तक जमा कर सकते हैं रुपये.
फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी है और एक्सपर्ट पहले से इसके स्थिर रहने की उम्मीद जता रहे थे. इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे पहले बीते साल केंद्रीय बैंक ने चरम पर पहुंची महंगाई दर को काबू में करने के लिए एक के बाद कई बार इस दर में बढ़ोतरी की थी. मई 2022 में Repo Rate 4 फीसदी पर था, जो फरवरी 2023 आते-आते 6.50 फीसदी पर पहुंच गया था. हालांकि, इसके बाद से ये यथावत रखा गया है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि RBI की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है. 2023-24 के लिए CPI मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि 6.5 फीसदी अनुमानित है... अगले वित्तीय वर्ष 2024 -25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक GDP वृद्धि 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है."
क्या है रेपो रेट
आसान शब्दों में समझें तो रेपो रेट का मतलब है रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर. बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है. जिस तरह लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं. उसी तरह सभी बैंक, आरबीआई (RBI) से लोन लेते हैं. आरबीआई जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे ही रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है.