कोरोना संकट: रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती की, रिवर्स रेपो रेट भी घटाया
कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती की. जबकि रिवर्स रिवर्स रेपो रेट 90 बेसिस प्वॉइंट घटाया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए यह निर्णय लिया.
मुंबई: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के प्रकोप के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को रेपो रेट (Repo Rate) में 0.75 फीसदी की कटौती की. जबकि रिवर्स रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) 90 बेसिस प्वॉइंट घटाया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए यह निर्णय लिया.
मीडिया को संबोधित करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट 0.75 फीसदी की कटौती के साथ 4.4% पर बना रहेगा. वहीं रिवर्स रेपो रेट 0.90 फीसदी की कटौती के साथ 4 फीसदी हो गया है. उन्होंने आगामी समय में कोरोना संकट के कारण जीडीपी ग्रोथ प्रभावित होने की संभावना जताई. KYC के लिए अब नहीं लगाने होंगे बैंकों के चक्कर, RBI ने बदला यह नियम
आरबीआई ने पहले ही कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण तरलता का संकट पैदा होने के चलते अधिक लांग टर्म रेपो ऑपरेशन (एलटीआरओ) का संचालन करने का फैसला लिया था.
बीते 6 फरवरी को रिजर्व बैंक ने अनिश्चित वैश्विक माहौल और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति तेज होने के अनुमान से चालू वित्त वर्ष की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर 5.15 प्रतिशत के स्तर ही बनाए रखने का निर्णय किया था. लगातार दूसरी बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया था. रिजर्व बैंक ने फरवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के दौरान रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी.
ज्ञात हो कि आरबीआई जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है. जिसके बाद ही बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को कर्ज (लोन) देते हैं. इसलिए इसके बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगा होने की संभावना बन जाती है. वहीँ रिवर्स रेपो रेट का मतलब है वह दर जिसपर बैंकों को अपने जमा पैसे पर आरबीआई ब्याज देती है. बाजार में कैश ज्यादा हो जाने पर अमूनन आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है. जिससे बैंक आरबीआई के पास ज्यादा कैश दें और बाजार से नकदी खुद कम हो जाए. (एजेंसी इनपुट के साथ)