रेप पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा पत्र, 'टू फिंगर टेस्ट' करने वाले डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की
बलात्कार की करीब 1500 पीड़िताओं और उनके परिजनों ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को एक पत्र लिखकर उन डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की जो शीर्ष अदालत की पाबंदी के बावजूद ‘‘शर्मिंदगीपूर्ण दो उंगलियों वाला परीक्षण’’ करते हैं. यौन हिंसा की 12 हजार से अधिक पीड़िताओं और उनके परिजनों के मंच ‘राष्ट्रीय गरिमा अभियान’ ने यह पत्र सौंपा.
बलात्कार की करीब 1500 पीड़िताओं और उनके परिजनों ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को एक पत्र लिखकर उन डॉक्टरों (Doctors) के लाइसेंस रद्द करने की मांग की जो शीर्ष अदालत की पाबंदी के बावजूद ‘‘शर्मिंदगीपूर्ण दो उंगलियों वाला परीक्षण’’ (Two-Finger Test) करते हैं. यौन हिंसा की 12 हजार से अधिक पीड़िताओं और उनके परिजनों के मंच ‘राष्ट्रीय गरिमा अभियान’ (Rashtriya Garima Abhiyan) ने यह पत्र सौंपा. उच्चतम न्यायालय ने 2013 में बलात्कार की पुष्टि करने के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘दो उंगली परीक्षण’ पर पाबंदी लगा दी थी.
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पत्र में कहा गया, ‘‘परीक्षण को इसलिए प्रतिबंधित किया गया क्योंकि यह न केवल पीड़िता के निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है बल्कि यह अवैज्ञानिक है और इसे पीड़िता के पिछले यौन संबंधों के इतिहास को लेकर उसे शर्मसार करने के लिए अदालत में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. समूह ने डॉक्टरों द्वारा इस तरह के उल्लंघन के 57 से अधिक मामले एकत्र किये हैं.’’