2 दरिंदों को मिली सजा-ए-मौत, कोर्ट ने कहा- केवल मृत्युदंड ही गैंगरेप पीड़िता को देगा न्याय

हर की एक विशेष अदालत ने एक नाबालिग को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी भयानक तरीके से हत्या के मामले में मंगलवार को दो व्यक्तियों को मौत की सजा सुनाई.

प्रतीकात्मक तस्वीर

जोधपुर: शहर की एक विशेष अदालत ने एक नाबालिग को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी भयानक तरीके से हत्या के मामले में मंगलवार को दो व्यक्तियों को मौत की सजा सुनाई. दोषी श्रवण सिंह और घेवर सिंह पर नाबालिग लड़की को 29-30 मार्च 2013 को बाड़मेर के चौहटन उप संभाग के रिनवा गांव स्थित उसके घर से अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप था.

बच्ची का शव अगले दिन इलाके के पास मिट्टी के ढेर से बरामद हुआ था. पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और इनके खिलाफ आईपीसी, एससी/एसटी अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पॉस्को) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

अपराध को दुर्लभतम श्रेणी का करार देते हुए विशेष न्यायाधीश वमिता सिंह ने न्याय को सुनिश्चित करने के लिए मृत्युदंड की जरूरत बताई.

अदालत ने इन दो दोषियों के अलावा सह आरोपी शंकर सिंह, प्रह्लाद सिंह और नरसिंह को अपराध छिपाने व मृतका के परिवार पर मामला वापस लेने के लिए दबाव बनाने का दोषी करार दिया. उन्हें सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है.

अदालत ने बचाव पक्ष द्वारा सजा को हल्का किए जाने की गुहार को खारिज कर दिया. बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया था कि दोनों आरोपी छोटे बच्चों के पिता हैं और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जिसपर अदालत ने कहा, "एक नाबालिग लड़की को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है और उसकी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है. हत्या इतनी वीभत्स होती है कि समाज का कलेजा चीर दे.. केवल मृत्युदंड से ही न्याय हो सकता है."

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