राजस्थान में राजे ही भाजपा, भाजपा ही राजे' से राज्य इकाई में मचा कोहराम
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों और मौजूदा राज्य नेतृत्व के बीच फूट, जो पहले पोस्टर युद्ध तक सीमित थी, अब खुली जुबानी झड़पों में फैल गई है, जहां उनके समर्थकों ने खुले तौर पर घोषित किया है कि राजस्थान में 'राजे ही भाजपा है और भाजपा ही राजे है.
जयपुर, 19 जून : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के समर्थकों और मौजूदा राज्य नेतृत्व के बीच फूट, जो पहले पोस्टर युद्ध तक सीमित थी, अब खुली जुबानी झड़पों में फैल गई है, जहां उनके समर्थकों ने खुले तौर पर घोषित किया है कि राजस्थान में 'राजे ही भाजपा है और भाजपा ही राजे है.' राज्य नेतृत्व ने टिप्पणी पर चुप रहने से इनकार कर दिया है और कहा है कि 'कोई भी पार्टी से बड़ा नहीं है' और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बोलना पार्टी के खिलाफ है और एक गलत प्रथा है. राज्य पार्टी मुख्यालय से उनके पोस्टर हटाए जाने के बाद पिछले कुछ दिनों में, राजे के समर्थ राज्य में अत्यधिक सक्रिय हो गए हैं. उनमें से कई ने सर्वसम्मति से कहा है कि राजे राज्य में भगवा पार्टी की एकमात्र नेता हैं. भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुनेल, प्रताप सिंह सिंघवी के साथ पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली ने सार्वजनिक रूप से राजे को रेगिस्तानी राज्य में अपना एकमात्र नेता घोषित किया है.
अपने बयानों में उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजे ही भाजपा है और भाजपा ही राजे है. हालांकि, राज्य भाजपा प्रमुख सतीश पूनिया और विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने शुक्रवार को कहा, "पार्टी का संविधान सर्वोपरि है, जिसके लिए हमारे सभी कार्यकर्ता दिन-रात काम करते हैं, कोई भी व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं है." उन्होंने कहा, "यह आवश्यक है कि पार्टी के प्रमुख लोग, चाहे विधायक, सांसद या कोई भी पदाधिकारी इस तरह के बयान देकर अनावश्यक जोड़-तोड़ से बचें क्योंकि यह ना तो उनकी सेवा करता है और ना ही पार्टी के हित में है." पूनिया ने कहा कि पार्टी की कुछ मर्यादा होती है और वह एक संविधान का पालन करती है, जिसके अनुसार सभी सदस्य कार्य करते हैं.पूनिया ने कहा, "हर व्यक्ति को पार्टी के मंच पर बोलने का मौका दिया जाता है, लेकिन सार्वजनिक मंचों पर ऐसी बातें कहना पार्टी के संविधान के खिलाफ है. पार्टी का हित हमारे लिए सर्वोपरि है. भले ही कुछ कार्यकर्ता ऐसे बयान दे रहे हैं किसी कारण से व्यक्तिगत आधार पर, लेकिन यह पार्टी की सीमा के भीतर नहीं आता है. पार्टी ऐसे लोगों को जानती है और क्या होगा और कब होगा, इस पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि, जो कुछ भी होगा, हमें पता चल जाएगा." यह भी पढ़ें : Ahmedabad Shocker: गुटखा खरीदने से इनकार करने पर शख्स ने दोस्त को मारा चाकू, हत्या के प्रयास का मामला दर्ज
यह पूछे जाने पर कि क्या यह रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को दी जाएगी, पूनिया ने कहा, "सभी की आंखें और कान हैं. सभी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचती हैं. लेकिन सही समय की प्रतीक्षा करें." नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि "अगर कोई सोचता है कि मैं पार्टी से ऊपर हूं तो यह ठीक नहीं है." साथ ही अगर कोई किसी व्यक्ति को पार्टी से ऊपर होने की बात कहता है तो यह भी ठीक नहीं है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि एक नेता सरकार बना सकता है. पत्रकारों से बातचीत के दौरान कटारिया ने राजे के समर्थकों को यह भी निर्देश दिया कि भाजपा में पहले देश आता है, फिर पार्टी और तीसरे पर नेता आता हैं. पार्टी इसी सिद्धांत पर चलती है. उन्होंने कहा कि पार्टी और पार्टी की मर्यादा ही हमारे लिए सर्वोपरि है. कटारिया ने कहा कि 'कौन किसके प्रति वफादार रहता है' इस तरह के बयान देने वाले नेताओं का व्यक्तिगत फैसला है.
हालांकि, मैं जिस पार्टी से हूं, वह सामूहिक निर्णय लेती है और कभी भी किसी व्यक्तिगत निर्णय को महत्व नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और अगला चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा. राजे पिछले कई महीनों से राज्य नेतृत्व के समानांतर चल रही हैं. वसुंधरा जन रसोई चला रही हैं जब पार्टी महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए सेवा ही संगठन अभियान चला रही है. साथ ही वह पार्टी की बैठकों और वर्चुअल बैठकों में भी शामिल नहीं हो रही हैं. हाल ही में जब राज्य भाजपा ने सीएम गहलोत के कामकाज के खिलाफ अभियान चलाया, तो उन्होंने अभियान में भाग नहीं लिया.