आतंकियों का पता लगाने के लिए रेलवे इस्तमाल करेगी ISS सिस्टम- अब स्टेशन होंगे इन तकनीकों से लैस
इंडियन रेलवे (Photo Credits: Facebook)

आतंकी खतरों के मद्देनजर संदिग्ध आतंकियों का पता लगाने और रेलवे परिसर के साथ-साथ ट्रेन के डिब्बों में भी अनुपयोगी सामान की पहचान करने के लिए कई रेलवे स्टेशनों पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली (ISS) स्थापित की जा रही है. आईएएनएस को एक इंटरव्यू में आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि,' "आरपीएफ और आरपीएसएफ (रेलवे सुरक्षा सुरक्षा बल) की तैनाती के अलावा हमने एक कमांडो बैटालियन लॉन्च किया है, जिसे कोरास (CORAS ) कमांडो के रूप में जाना जाता है." कुमार ने कहा कि जहां तक ​​रेलवे सुरक्षा का सवाल है आरपीएफ अब बड़े पैमाने पर टेक्नॉलोजी का उपयोग कर रहा है.

उन्होंने बताया कि,' आईएसएस के तहत, हमने ट्रेन के डिब्बों, रेलवे स्टेशनों में कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं और हम इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए सीसीटीवी कैमरों से फीड का विश्लेषण करने जा रहे हैं. यह हमें रेलवे परिसर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया प्रदान करेगा. हमने बेंगलुरु में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में फेस डिटेक्शन तकनीक का उपयोग किया है और अब इसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और कई अन्य स्टेशनों पर भी स्थापित किया गया है. फेस डिटेक्शन सिस्टम में हमारे पास सीसीटीवी (क्लोज सर्किट टेलीविजन) कैमरों से फीडबैक लेने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी है. हम सॉफ्टवेयर में ज्ञात अपराधियों और आतंकवादियों के स्केच और तस्वीरों को फीड कर रहे हैं.

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अरुण कुमार ने बताया कि,' जब कोई अपराधी या विशेष व्यक्ति कैमरे में आता है, तो यह कण्ट्रोल रूम में स्थापित सिस्टम पर नोर्टीफिकेशन भेजता है. आरपीएफ महानिदेशक ने बताया कि.' यह सिस्टम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन सहित 202 से अधिक स्टेशनों पर लगाई गई है. राष्ट्रीय वाहक (National Carrier ) ने सभी बड़े स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनाई है ताकि आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. रेलवे के अनुसार राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर रोजाना 1.2 मिलियन यात्रियों को ले जाता है और इसका नेटवर्क 62,000 किमी से अधिक फैला हुआ है.

कुमार ने कहा कि फेस डिटेक्शन सिस्टम के अलावा, आरपीएफ पूरी सुरक्षा प्रणाली का बेहतर विश्लेषण प्राप्त करने के लिए कई अन्य सॉफ्टवेयर्स का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है. महानिदेशक ने कहा कि आरपीएफ ने गश्त करने वाली टीमों के लिए बॉडी वियर कैमरे भी लगाए हैं ताकि स्टेशन परिसर में अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके. ये कैमरे कर्मियों की वर्दी से जुड़े होते हैं, जो चारों ओर हो रही घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए होते हैं.

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रेलवे प्लेटफॉर्म और रेलवे परिसर में कई घंटों तक सामान और अन्य वस्तुओं के पड़े रहने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारे पास कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ा एक सॉफ्टवेयर है, जो रेल परिसर में 30 मिनट से अधिक समय तक पड़े हुए सामान की पहचान करने के लिए है." उन्होंने कहा, "जब कोई भी वस्तु या सामान मिलता है, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली हमें सचेत करती है और स्टेशन पर तैनात हमारी टीम निरीक्षण के लिए उन सामानों को इकट्ठा करती है," यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे संपत्ति को सुनिश्चित करने के लिए आरपीएफ ने अन्य उपायों को साझा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए बैगेज स्क्रीनिंग सिस्टम और बायोमेट्रिक सुविधा की भी योजना है.

आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि,'हम सिस्टम लगा रहे हैं और जल्द ही हम उन सभी यात्रियों की बायोमेट्रिक रीडिंग लेंगे, जो ट्रेनों में यात्रा करनेवाले हैं.