नई दिल्ली: रेलवे में महिला कर्मियों की भागीदारी ठीक ठाक है और वो अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती भी हैं. आरपीएफ की महिला कर्मियों ने साल 2023 में 206 गर्भवती महिला यात्रियों के प्रसव में सहायता की. इसके साथ ही आरपीएफ की महिला कर्मियों की सतर्क और सक्रिय भूमिका ने 3,973 बच्चियों को बचाने में मदद की.
आरपीएफ में महिलाकर्मी न केवल सशक्तिकरण का प्रतीक हैं, बल्कि वे यात्रियों की सुरक्षा और भलाई में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) भारत में रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी है। इसे रेलवे संपत्ति की बेहतर सुरक्षा और संरक्षा के लिए वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था. इस बल की यात्री सुरक्षा और सुविधा में भी महत्वपूर्ण भूमिका है. यह भी पढ़े :International Women’s Day: पद्मश्री से सन्मानित झारखंड की चामी मुर्मू ने तीन दशक में लगाए 30 लाख पेड़
आरपीएफ में अन्य केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तुलना में महिला कर्मियों का अनुपात 9 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है. ट्रेन एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए तैनात महिला अधिकारियों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मानकीकृत बैरक, चेंजिंग रूम और अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया गया है.
इसी के साथ रेलवे में महिला कर्मचारियों की शिकायतों के निवारण के लिए सभी क्षेत्रों/इकाइयों में महिला नोडल अधिकारियों का नामांकन करना और यह भी सुनिश्चित करना कि उनकी बात सुनी जाए, इसके लिए मेरी सहेली पहल शुरू की गई.
इस पहल का मकसद अकेले या नाबालिग बच्चों के साथ लम्बी दूरी की ट्रेनों में यात्रा करने वाली महिला यात्रियों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करना है. वर्तमान में भारतीय रेलवे में प्रतिदिन औसतन 400 से अधिक ट्रेनों में सेवा प्रदान करने के इस उद्देश्य के लिए 230 टीमों को तैनात किया जा रहा है. इन टीमों ने महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करते हुए, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनुचित तरीके से यात्रा करने वाले लोगों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
साल 2023 के दौरान, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में यात्रा करते हुए 77,839 लोगों को पकड़ा गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई.
आरपीएफ कर्मियों, विशेष रूप से महिला अधिकारियों ने ट्रेन यात्रा के दौरान प्रसव पीड़ा से गुजर रही गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए अपने कर्तव्य से हटकर भी सहायता प्रदान की. 2023 में ही आरपीएफ की महिला कर्मियों ने 206 प्रसव में सहायता की.
महिलाएं और बच्चियां मानव तस्करी के दृष्टि से अधिक संवेदनशील होती हैं.आरपीएफ ने मानव तस्करी के खिलाफ अभियान चलाया. 2023 में तस्करों के चंगुल से 1,048 लोगों को बचाया गया और 257 तस्कर पकड़े गए.
रेलवे के संपर्क में आने वाले और देखभाल तथा सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की सहायता के लिए एक गहन अभियान शुरू किया गया.2023 के दौरान आरपीएफ ने 3,973 बच्चियों को बचाया है.
आरपीएफ की महिला कर्मी देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाली महिलाओं सहित वयस्क लोगों को बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ऐसे व्यक्तियों में भगोड़े, परित्यक्त, नशे के आदी, निराश्रित या चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले शामिल होते हैं. 2023 में लगभग 3,492 ऐसे व्यक्तियों को बचाया गया. ऐसे ऑपरेशनों और पहलों के माध्यम से आरपीएफ न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि यह सभी के लिए एक सुरक्षित, अधिक समावेशी रेलवे माहौल बनाने में भी महिलाओं के अमूल्य योगदान को दर्शाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.